Last Updated: Sunday, December 22, 2013, 23:26

मुंबई : प्रतिभूति बाजार सेबी के प्रमुख यूके सिन्हा ने कहा है कि सेबी बाजार में गड़बड़ी करने व नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते समय केवल मामले के तथ्यों पर ध्यान देता और यह नहीं देखता कि मामला किसी बड़ा उद्योग घराने से जुड़ा है या किसी मामूली आदमी से। उन्होंने कहा कि आरोपी की हैसियत सेबी के लिए मायने नहीं रखती।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के प्रमुख सिन्हा ने कहा, ‘‘ सेबी के लिए मंत्र और संदेश यह है कि हम मामलों के तथ्यों के आधार पर चलते हैं। हमारे लिए यह मायने नहीं रखता कि आप बड़े हैं या छोटे। हमें सबको एक ही तराजू पर तौलना होता है।’’ बड़े उद्योग घरानों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में अलग पैमाने अपनाने की आलोचाना के सबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने यह बात कही। यह बात कही।
अक्सर सेबी पर बड़ी कंपनियों को आसानी से छोड़ने का आरोप लगता रहा है ताक कई बार बड़ी कपंनियों की शिकायत रहती है कि नियमक लागों को कड़ा संदेश देने के लिए उनके खिलाफ जरूरत से ज्यादा सख्त बरताव करता है।
यह पूछे जाने पर कि मामले को निपटाते समय बड़ी कंपनी और बड़े उल्लंघन के बीच सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्या माना जाता है तो सेबी प्रमुख ने कहा, ‘‘ मुझे खुशी है कि आपने दोनों उदाहरण दिए हैं। हमें दोनों तरफ से शिकायतें प्राप्त होती हैं। हालांकि मैं समझता हूं कि दोनों ही पक्षों की बात कुछ ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर कही गयी होती है जबकि सच्चायी कहीं बीच में होती है। ’’ सिन्हा ने कहा कि एक समय यह धारणा बनी थी कि बड़ी कंपनियां सहमति से मामले का निपटान कर बच निकल सकती हैं। हालांकि उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, ‘‘ अब हमने सहमति से निपटान की व्यवस्था इतनी सख्त कर दी है कि गंभीर प्रकृति के अपराध पर सहमति से निपटान नहीं किया जा सकता।’’
सिन्हा ने कहा, ‘‘ हमने मई, 2012 के सकरुलर के जरिये यह स्पष्ट किया है। अब सहमति से निपटान की व्यवस्था और सख्त कर दी गई है और नए अध्यादेश ने सहमति की प्रक्रिया बहुत सख्त कर दी है। हाल ही में मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी कथित भेदिया कारोबार मामले के लिए सहमति से निपटान की कंपनी की अर्जी पर विचार नहीं करने के सेबी के निर्णय को चुनौती दी है।
इसके अलावा, कुछ अन्य बड़े कारपोरेट समूहों की ओर भी ऐसे मामलों में सेबी के निर्णयों को चुनौती दी है। इनमें सहारा समूह, अनिल अंबानी की अगुवाई वाला रिलायंस समूह एवं राजनीतिक रूप से जुड़ी कई अन्य इकाइयां शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि सेबी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए एक नयी निगमित संचालन संहिता पर भी काम कर रहा है जिसमें बड़ी कंपनियों को अपने उच्च अधिकारियों को मोटी तनख्वाह देने का औचित्य बताना होगा और साथ ही एक भंडाफोड़ नीति अपनाते हुए एक उचित उत्तराधिकारी योजना पेश करनी होगी। सिन्हा ने कहा कि नए कंपनी कानून से एक नया आयाम सामने आया है और निगमित संचालन के नजरिए से काफी स्पष्टता आई है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 22, 2013, 23:26