Last Updated: Sunday, March 9, 2014, 22:55

नई दिल्ली: इस यूरोपीय देश पर अकसर यह आरोप लगता रहा है कि यह भारतीय नागरिकों के अवैध धन जमा करने का सर्वाधिक पसंद वाला गंतव्य है। स्विट्जरलैंड ने कहा कि वह आगामी चुनावों के बावजूद भारत के साथ किसी खुले प्रश्न को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। गोपनीयता की वजह से भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में कालेधन को जमा कराने का मुद्दा भारत में भारी बहस का मुद्दा रहा है और अगले महीने से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यह बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है।
हाल के महीनों में भारत ने स्विट्जरलैंड पर कुछ भारतीयों द्वारा कथित रूप से स्विस बैंकों में कर अदा किये गये बगैर रखे गये धन के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि समझा जाता है कि भारतीय अधिकारियों को ऐसे स्विस बैंक खातों के बारे में आरंभिक सूचना तीसरे देशों से प्राप्त हुईं है जिन्होंने कथित चुराये गये बैंकिंग आंकड़ों के बाद भारत के साथ विवरणों को साझा किया है।
चुराये गये बैंक खाता सूचनाओं के आधार पर किये जाने वाले अनुरोध पर विचार हो सकने की असमर्थता पर जोर देते हुए स्विट्जरलैंड के वित्त मंत्रालय ने पुष्टि की कि दोनों देश कर मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए निरंतर संपर्क में रहे हैं।
स्विट्जरलैंड के भारत के साथ सहयोग नहीं करने के आरोपों को खारिज करते हुए ‘स्विस फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस’ के प्रवक्ता ने बर्न ने बताया, भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संबंध परस्पर विश्वास का बना हुआ है। उन्होंने कहा, स्विट्जरलैंड, भारत की कर अपवंचना से लड़ने की इच्छा को समझता है। स्विट्जरलैंड विश्वास करता है कि भारत उसकी इस मान्यता से सहमति रखता है कि कोई भी समाधान मान्य कानूनों के दायरे में ढूंढा जा सकता है और दोनों ही पक्षों को अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों का आदर करना चाहिये।
उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए स्विट्जरलैंड ऐसी सूचनाओं पर कोई प्रशासकीय सहायता नहीं दे सकता जो स्विस कानून के तहत आपराधिक तौर तरीके से (उदाहरण के लिए चुराये गये बैंक की सूचनाओं की आधार पर) प्राप्त सूचनाओं पर आधारित हों। उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान बचाव संधि के अनुरूप भारत द्वारा जमा कराये गये अनुरोधों पर अपना जवाब भेज रहा है और सूचनाओं का आदान प्रदान करता है। और इस प्रकार स्विट्जरलैंड इस समझौते के अनुरूप भारत के अन्य अनुरोधों के संदर्भ में जवाब भेजता है और सूचनाओं का आदान प्रदान करता है। स्विट्जरलैंड की यह टिप्पणी 17 फरवरी को वित्तमंत्री पी चिदंबरम के उस बयान के संदर्भ में महत्वपूर्ण है जब उन्होंने काले धन की समस्या के बारे में बोलते हुए विशेष तौर पर स्विट्जरलैंड का उल्लेख किया जो सहयोग प्रदान नहीं कर रहा है।
यद्यपि सरकार ने अकसर काले धन की समस्या को हल करने के लिए उठाये जा रहे कदमों के बारे में बात की है, वहीं भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) ने पहले ही इस मुद्दे को आगामी चुनाव का महत्वपूर्ण मुद्दा घोषित कर दिया है। स्विस सरकार के अधिकारियों के अनुसार स्विट्जरलैंड से एक विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी में कर मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए भारत का दौरा किया और इस पर चर्चा की। दोनों देशों के विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडल के बीच यह बैठक 4 और 5 फरवरी 2014 को नई दिल्ली में हुई थी।
उन्होंने कहा कि यह बैठक मित्रतापूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने एक दूसरे की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए पारदर्शी तरीके से अपने अपने विचारों को रखा। स्विट्जरलैंड द्वारा अपने बैंकिंग गोपनीयता के तमगे को हटाने के प्रयासों के बावजूद कुछ हलकों में अभी भी इस देश को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में और सूचनाओं की गोपनीयता कायम रखने वाले देश के रूप में देखा जाता है।
स्विस नेशनल बैंक के पास उपलब्ध ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि स्विस बैंक में भारतीयों के द्वारा रखा गया कुल धन वर्ष 2012 के अंत तक घटकर करीब 9,000 करोड़ रुपये (1.42 अरब स्विस फ्रैंक) के रिकॉर्ड निम्न स्तर पर रह गया जो वर्ष भर पहले करीब 14,000 करोड़ रुपये (2.18 अरब फ्रैंक) था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 9, 2014, 22:55