Last Updated: Monday, June 9, 2014, 18:59
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की नयी सरकार आर्थिक वृद्धि और रोजगार बढाने की पहल करते हुए खाद्य कीमतों में कमी लाना को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। निवेश को प्रोत्साहित करने वाले व्यापक आर्थिक सुधारों को आगे बढाने के साथ साथ सरकार ऐसी कर प्रणाली सुनिश्चित करेगी जो युक्तिसंगत, भरोसेमंद और सरल हो तथा उद्यम एवं विकास के लिए प्रतिकूल न हो।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राजकाज के लिए मोदी सरकार के एजेंडे का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सरकार जमाखोरी तथा कालाबाजारी के खिलाफ कदम उठाएगी तथा विदेशों में जमा काले धन को वापस लेने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। इसके साथ ही माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कार्यान्वयन, परियोजनाओं की मंजूरी तेज करना तथा कोयला क्षेत्र में सुधार भी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, हम अर्थव्यवस्था को सतत उच्च विकास पथ पर ले जाने के लिए मिलजुल कर काम करेंगे। महंगाई नियंत्रित करेंगे। निवेश चक्र में तेजी लाएंगे, रोजगार सृजन के प्रयासों को तेज करेंगे और देश की अर्थव्यवस्था के प्रति घरेलू व अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास बहाल करेंगे।
उच्च मुद्रास्फीति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नयी सरकार इसको काबू में रखने को ‘‘सर्वोच्च प्राथमिकता’’ देगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस साल मानसून सामान्य से कम रहने की आशंका को लेकर सतर्क है और हालात से निपटने के लिए आपातकालीन योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस वर्ष सामान्य से कम मानसून की संभावना के प्रति सतर्क है और इसके लिए उपयुक्त योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
मुखर्जी ने कहा कि सरकार एक ऐसा नीतिगत वातावरण तैयार करेगी जिसमें स्थायित्व हो और जो पारदर्शी तथा निष्पक्ष हो। उन्होंने कहा, कर व्यवस्था को युक्तिसंगत तथा सरल बनाया जाएगा जो निवेश, उद्यम और विकास के विरद्ध नहीं होगी, वरन उसे बढ़ाने में सहायक होगी। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार इस प्रस्तावित नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के बारे में राज्यों की चिंताओं का निराकरण करते हुए जीएसटी लागू करने का हर संभव प्रयास करेगी। मुखर्जी ने कहा कि मोदी सरकार विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए विदेशी सरकारों के साथ काम करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार देश को भ्रष्टाचार के अभिशाप तथा काले धन के खतरे से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। काले धन के खतरे से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार भारतीयों की विदेशों में जमा गैरकानूनी कमाई को वापस लाने के लिए विभिन्न देशों से सम्पर्क करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा,‘इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है ताकि विदेश में जमा काले धन का पता लगाया जा सके। इस काम को विदेशी सरकारों के साथ सक्रियता से सम्पर्क कर जोर शोर से आगे बढाया जाएगा।’ मुखर्जी ने कहा कि रोजगार व आस्ति सृजन में मदद करने वाले क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को प्रोत्साहित किया जाएगा। रोजगार सरकार के लिए सरकार श्रम बहुत विनिर्माण को बढावा देगी तथा पर्यटन तथा कृषि आधारित उद्योगों में रोजगार अवसरों को बढाएगी।
इसके तहत सरकार कृषि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी निवेश बढाने के प्रयास करेगी तथा खेती बाड़ी को फायदे का उप्रकम बनाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति अपनाएगी जो कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि के वैज्ञानिक तरीके से पहचान करने और उसका कारगर विकास करने में सहायता करेगी।
मुखर्जी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर ‘एक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र’ के रूप में परिवर्तित करने की जरूरत है जिसकी मुख्य विशेषता ‘दक्षता, मात्रा और गति’ होगी। इसके लिए, सरकार खासकर देशभर में समर्पित माल परिवहन गलियारों एवं औद्योगिक गलियारों के साथ साथ विश्वस्तरीय निवेश एवं औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करेगी। अभिभाषण में सभी वर्ग के श्रमिकों के लिए पेंशन और स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा तंत्र को सुदृढ करने और उन्हें आधुनिक वित्तीय सुविधाएं सुलभ कराने का वादा किया गया है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, June 9, 2014, 18:59