Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 19:47
नई दिल्ली : बंपर फसल उत्पादन के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति के उंचे बने रहने के मद्देनजर उद्योग मंडल एसोचैम ने सुझाव दिया है कि केंद्र को राज्यों को गेहूं चावल की खरीद के संबंध में आंशिक मुआवजा देना चाहिए क्यों कि ये राज्य इन जिंसों पर भारी कर लगा रहे है। उद्योग मंडल ने मूल्य वर्धित कर प्रणाली (वैट) पर प्रगतिशील कर नीति अपनानी चाहिए उपभोक्ताओं के लिए चावल व गेहूं जैसे जरूरी जिंसों के दाम कम किए जा सकें।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, पंजाब, हरियाणा व आंध्रप्रदेश जैसे राज्य राज्य एजेंसियों या भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खरीदे गए गेहूं व चाव पर भारी कर लगा रहे हैं और इस तरह ये जिंसे आम जनता के लिए बहुत महंगी पड़ती हैं। संगठन का कहना है कि मूल्य वर्धित कर (वैट), बाजार शुल्क तथा अन्य शुल्कों को मिला कर गेहूं पर पंजाब में कुल कर सबसे अधिक 14.5 प्रतिशत तथा हरियाणा में 11.5 प्रतिशत पड़ता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 20, 2013, 19:47