Last Updated: Tuesday, December 17, 2013, 17:13
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नई दिल्ली : आम चुनाव नजदीक आने के साथ राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिये अंबानी, मित्तल और बिड़ला समेत कम-से-कम पांच औद्योगिक घरानों ने अलग न्यास गठित किए हैं। साथ ही दो दर्जन से अधिक कारोबारी समूह ने इसी प्रकार की योजनाएं तैयार की हैं।
ये नए ट्रस्ट नए नियमों के तहत पंजीकृत किए जा रहे हैं। इसके तहत चुनावी चंदे के लिये न्यास का गठन जरूरी है और इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों को दिये गये कोष के लिये कर छूट भी मिलता है। इस साल की में सरकार ने नई व्यवस्था स्थापित की जिसके तहत औद्योगिक समूह और कंपनियों को चुनावी चंदे के लिये ट्रस्ट का गठन जरूरी है। जिन समूह ने ऐसे ट्रस्ट स्थापित किए हैं, उनमें अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाला वेदांता समूह, सुनील मित्तल के नेतृत्व वाला भारती समूह, अनिल अंबानी का रिलायंस समूह तथा कोलकाता का केके बिड़ला समूह शामिल हैं।
इन न्यासों को नये कंपनी कानून, 2013 की धारा 8 के तहत गैर-लाभकारी कंपनी माना गया है सरकारी अधिकारियों के अनुसार कम-से-कम 25 अन्य बड़े औद्योगिक घराने अपना खुद का चुनाव ट्रस्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकतर ट्रस्ट का नाम इस तरीके से तय किया गया है जिससे यह पता नहीं चलता कि उसका संबद्ध किस औद्योगिक समूह है। हालांकि इस नई व्यवस्था का मकसद राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले चंदे के मामले में पारदर्शिता लाना है। बहरहाल, ये नई कंपनियों के पते तथा निदेशक संबद्ध समूह से ही ताल्लुक रखते हैं।
इनमें जनहित इलेक्ट्रोल ट्रस्ट वेदांता समूह से संबद्ध है। जबकि सत्य इलेक्ट्रोल ट्रस्ट भारती समूह से जबकि पीपुल्स इलेक्ट्रोल ट्रस्ट रिलायंस समूह तथा समाज इलेक्ट्रोल ट्रस्ट का संबंद्ध के के बिड़ला समूह से है। इन ट्रस्टों का गठन अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 17, 2013, 17:13