Last Updated: Monday, February 17, 2014, 17:01
नई दिल्ली : अगले वित्त वर्ष (2014-15) में सरकार के पास उपलब्ध हर एक रुपये में से एक चौथाई यानी 25 पैसे बाजार उधारी के जरिए आएंगे जो कि 31 मार्च को समाप्त मौजूदा वित्त वर्ष से कम है। ऋण पर सरकार की निर्भरता अगले वित्त वर्ष में 25 पैसे रह गई है जो गत वित्त वर्ष में 27 प्रतिशत थी। इसे राजस्व संग्रहण पर दबाव घटने का संकेत माना जा रहा है। वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा आज संसद में पेश प्रस्तावों के अनुसार 2014-15 में सरकार की शुद्ध उधारी 4.57 लाख करोड़ रुपये रहेगी जो कि 2013-14 में 4.68 लाख करोड़ रुपये थी।
वहीं व्यय के मोर्चे पर केंद्रीय योजना आवंटन 21 पैसे से घटाकर 2014-15 में 10 पैसे कर दिया गया है। हालांकि ब्याज भुगतान अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 20 पैसे हो जाएगा जो 2013-14 में 18 पैसे था। राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को योजना मदद को दोगुना कर 2014-15 में 16 पैसे कर दिया गया है। रक्षा आवंटन 10 पैसे पर रखा गया है। राजस्व आय के एकल सबसे बड़े स्रोत के रूप में निगमित कर से संग्रहण का प्रति रपये में हिस्सा 21 पैसे या प्रतिशत रहेगा।
वहीं आयकर संग्रहण का हिस्सा प्रति रूपये में 14 पैसे रहेगा जो 2013-14 में 12 पैसे था। वहीं सरकार ने अप्रत्यक्ष कर संग्रहण मद में उत्पाद एवं सीमा शुल्क से सरकार को 19 पैसे (प्रति रुपये में) मिलेंगे जबकि सरकार को उम्मीद है कि सेवा कर तथा अन्य से मिलने वाला राजस्व संग्रहण बढ़कर 10 पैसे हो जाएगा जो 2013-14 में 9 पैसे था। खाद्य सुरक्षा कानून के कार्यान्वयन के बावजूद सरकार पर सब्सिडी बोझ को 2014-15 में भी 12 पैसे पर रखा गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 17, 2014, 17:01