Last Updated: Sunday, May 11, 2014, 20:55
नई दिल्ली : विदेशों में काला धन छुपाने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने के प्रयास में लगाने लगे भारत और अन्य देशों को सूचनाओं के आदान प्रदान की स्वचालित व्यवस्था के लिए 2017 तक का इंतजार करना पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर इस बारे में एक मानक व्यवस्था उस साल लागू होने वाली है।
भारत, स्विट्जरलैंड और 45 अन्य देशों ने कर सूचनाओं के स्वाभाविक आदान-प्रदान की संधि पर हस्ताक्षर किया है। यह संधि कालेधन की समस्या से लड़ने के लिए बैंकिंग गोपनीयता के नियमों में ढील के विरद्ध वैश्विक प्रयासों का एक प्रमुख कदम है।
पेरिस स्थित विकसित औद्योगिक देशों के संगठन ओईसीडी के तत्वावधान में इन देशों ने पिछले सप्ताह ‘कर मामलों में सूचनाओं के स्वाभाविक आदान-प्रदान की घोषणा’ का अनुमोदन किया। इसके तहत इस साल सितंबर तक में इस संबंध में वैश्विक मानक व्यवस्था को अंतिम स्वरूप देने का संकल्प किया गया है।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के कर नीति एवं प्रशासन केंद्र के निदेशक पास्कल सेंट-अमान्स ने पेरिस से बताया, सूचनाओं का स्वाभाविक आदान-प्रदान (एईओआई) तभी प्रभावी होगी जबकि घोषणा पर सहमति देने देशों के कानूनों और उनके बैंक के सूचना-प्रौद्योगिकी हार्डवेयर में इन मानकों के अनुसार संशोधन किया जाए। इस लिए एईओआई अगर बहुत जल्द लागू करने का प्रयास हुआ तो भी यह 2017 तक ही लागू हो सकता है। कर संबंधी सूचनाओं के स्वाभावित आदान-प्रदान के संबंध में उन्होंने कहा कि मानक तैयार करने और प्रतिबद्धताएं हासिल करने का काम शुरुआती चरण में है।
इस साल सितंबर में नए मानक को अंतिम स्वरूप मिल जाने की उम्मीद है। इसमें दूसरे देशों के नागरिकों के संबंध में पूंजी लाभ के आकलन के लिए बैंकों खातों में जमा राशि, ब्याज दर, लाभांश, अन्य वित्तीय आय और बिक्री से होने वाली आय की सूचना उन देशों के कर अधिकारियों को मुहैया करने की मानक व्यवस्था होगी।
इस बारे में संबंधित घोषणापत्र भारत के लिए उत्साहजनक है क्यों कि सरकार भारतीय नागरिकों द्वारा गैरकानूनी तरीके से स्विट्जरलैंड के बैंकों में गोपनीय खातों में जमा कराए गए धन के बारे में वहां की सरकार के जरिए सूचना प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।
पास्कल ने कहा, सूचनाओं के स्वचालित आदान-प्रदान का नियम लागू होने पर प्रवासियों की सभी बैंकिंग सूचनाओं को उक्त करदाताओं के मूल देशों को मुहैया कराने की सुविधा होगी ताकि वे विदेशी खातों में जमा धन छुपा न सकें। विश्व भर के कई देश विदेश में जमा गैरकानूनी धन के संकट से निपटने की कोशिश कर रहैं।
इस बीच पिछले मंगलवार को ओईसीडी के सभी 34 सदस्य देशों ने अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, कोस्टा रिका, भारत, इंडोनेशिया, लात्विया, लिथुएनिया, मलेशिया, सउदी अरब, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर कर संबंधी सूचनाओं के स्वाभावित आदान-प्रदान के घोषणापत्र पर सहमति जताई।
पास्कल ने कहा उन्होंने कहा, भारत की स्विट्जरलैंड के साथ आग्रह पर सूचनाओं के आदान-प्रदान पर संधि है। पारदर्शिता के संबंध में इस आदान-प्रदान की गुणवत्ता का आकलन वैश्विक मंच (ग्लोबल फोरम) करता है। एईओआई इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके मुताबिक स्विट्जरलैंड का आकलन ग्लोबल फोरम ने किया है। इसका निष्कर्ष है कि स्विट्जरलैंड का वर्तमान कानूनी ढांचा सूचनाओं के कारगर आदान प्रदान के अनुकूल नहीं है।
उन्होंने कहा, यह उस संगठन का एक सामान्य आकलन है न कि भारत के साथ उसके संबंध के मामले में उसकी कोई टिप्पणी है। पास्कल ने कहा उन्होंने कहा, भारत की स्विट्जरलैंड के साथ आग्रह पर सूचनाओं के आदान-प्रदान पर संधि है। पारदर्शिता के संबंध में इस आदान-प्रदान की गुणवत्ता का आकलन वैश्विक मंच (ग्लोबल फोरम) करता है। एईओआई इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके मुताबिक स्विट्जरलैंड का आकलन ग्लोबल फोरम ने किया है। इसका निष्कर्ष है कि स्विट्जरलैंड का वर्तमान कानूनी ढांचा सूचनाओं के कारगर आदान प्रदान के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा, यह उस संगठन का एक सामान्य आकलन है न कि भारत के साथ उसके संबंध के मामले में उसकी कोई टिप्पणी है।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, May 11, 2014, 20:55