Last Updated: Friday, February 21, 2014, 16:20
हैदराबाद : आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्यूटिकल विनिर्माण क्षेत्र तेलंगाना की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार होगा जबकि सीमांध्र में बिजली उत्पादन, बंदरगाह, तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र की प्रमुख भूमिका होगा तटीय आंध्रप्रदेश के करीब 1,000 किलोमीटर लंबे तट क्षेत्र में सरकारी बंदरगाह विशाखापट्टनम बंदरगाह के अलावा कृष्णपट्टनम, काकीनाड़ा और गंगावरम जैसे प्रमुख निजी बंदरगाह हैं। इस क्षेत्र को लौह अयस्क व कोयले जैसी चीजों के आयात-निर्यात से बड़ा मुनाफा हो सकता है।
लोकसत्ता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक जयप्रकाश नारायण ने हालांकि चेतावनी दी कि विभाजन के बाद शेष आंध्रप्रदेश के अंग रायलसीमा क्षेत्र पर बहुत बुरा असर होगा। नारायण ने कहा, ‘हैदराबाद शहर (जो पहले 10 साल तक दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगा जिसके बाद यह सिर्फ तेलंगाना की राजधानी रह जाएगा) का अतिरिक्त राजस्व 2012-13 में 13,000 करोड़ रुपए रहा जबकि रायलसीमा (चार जिले 1.5 करोड़ आबादी) का राजस्व घाटा 7,000 करोड़ रुपए रहा। प्रस्तावित वेतन बढ़ोतरी से रायलसीमा का घाटा बढ़कर 9,000 करोड़ रुपए हो जाएगा। इस क्षेत्र के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पर्याप्त धन नहीं होगा।’ तेलंगाना चारों ओर से जमीन से घिरा है और परिवहन के लिए ज्यादातर सड़क और रेल पर निर्भर करना पड़ेगा।
हालांकि हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर दवा और फार्मा निर्यात के भंडारण के लिए आावश्यक बुनियादी ढांचा होने के कारण तेलंगाना से निर्यात में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। भारत से होने वाले कुल फार्मा निर्यात में हैदराबाद का योगदान करीब 20 प्रतिशत है। तेलंगाना को बिजली क्षेत्र में समस्या हो सकती है क्योंकि यह क्षेत्र कृषि और पेय जल के लिए मुख्य रूप से लिफ्ट इरिगेशन योजनाओं पर निर्भर है जिसमें बिजली बहुत अधिक खर्च होती है।
उन्होंने कहा, ‘केजी-बेसिन से गैस का उत्पादन बढ़ने पर सीमांध्र क्षेत्र के गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों से ज्यादा बिजली का उत्पादन होगा और वहां बिजली का उत्पादन जरूरत से ज्यादा होने लगेगा। केंद्र सरकार को वहां से अतिरिक्त बिजली के को बाहर ले जाने के लिए पारेषण ढांचा तैयार करना चाहिए।’ विशेषज्ञों के मुताबिक अलग राज्य बनने के बाद तेलंगाना में 2,000 मेगावाट तक बिजली की कमी होगी। राज्य में सरकारी एपी जेंको की कुल स्थापित 8,924.86 मेगावाट क्षमता में से 54 प्रतिशत तेलंगाना और 46 प्रतिशत सीमांध्रा में हैं। तेलंगाना क्षेत्र में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 52 प्रतिशत पनबिजली और 48 प्रतिशत कोयले पर आधारित ताप बिजली क्षमता है।
तेलंगाना सूचना प्रौद्योगिकी संघ के संस्थापक सुदीप कुमार मक्थाला ने कहा कि तेलंगाना राज्य के निर्माण से जुड़ी अनश्चितता खत्म हो गई और यहां सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में और निवेश में वृद्धि होगी। मक्थाला ने कहा, ‘हैदराबाद में निवेश की इच्छुक ज्यादातर बहु-राष्ट्रीय कंपनियों ने अनिश्चितताओं के कारण अपनी योजना रोक रखी थी। अब संसद में विभाजन संबंधी विधेयक पारित होने के बाद इस शहर में निवेश आएगा।’ उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का विकास अभी हैदराबाद केंद्रित रहा है। वारंगल और करीमनगर जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहरों को भी सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 21, 2014, 16:20