Last Updated: Sunday, November 17, 2013, 18:14
नई दिल्ली : विदेशों में जमा कालेधन और विदेश के रास्ते कर चोरी की समस्या का मुकाबला करने में भारत के साथ महत्वपूर्ण साझीदार कर रहे देश लीख्टेनस्टाइन में इस सप्ताह बैंकिंग गोपनीयता की पुरानी व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी।
इसके साथ ही यह यूरोपीय देश उन देशों की जमात में शामिल हो जाएगा जो कर मामलों में सूचना के स्वत: आदान.प्रदान व पारस्परिक सहायता करने को राजी हो चुके हैं।
पेरिस स्थित आर्गनाइजेशन फार इकोनामिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने कहा है कि लीख्टेनस्टाइन की ओर से इंडोनेशिया के जकार्ता में 21-22 नवंबर के दौरान करउद्देश्यों के लिए पारदर्शिता व सूचना के आदान-प्रदान के वैश्विक फोरम में इस आशय की संधि पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
विदेशों में अवैध धन रखने वाले लोगों के खिलाफ भारत की लड़ाई में यह एक महत्वपूर्ण घटना साबित होगी क्योंकि भारत सरकार ने कई ऐसे लोगों की पहचान की है जो कालाधन छिपाने के लिए लीख्टेनस्टाइन के बैंकों का इस्तेमाल करते रहे हैं।
मध्य यूरोप के देश लीख्टेनस्टाइन की इस घोषणा से एक तरह से गोपनीयता की दीवार ढह जाएगी और भारत जैसे साझीदार देशों को संदिग्ध लोगों व कंपनियों के बारे में सूचना हासिल करने की अनुमति होगी। पिछले महीने स्विट्जरलैंड इस संधि में शामिल हो चुका है।
ओईसीडी का यह बहुपक्षीय संधि पत्र हर तरह की पारस्परिक सहायता के लिए मंच उपलब्ध कराता है जैसे अनुरोध पर आदान प्रदान, त्वरित आदान प्रदान, विदेश में कर संबंधी जांच व कर दाताओं के अधिकारों की रक्षा करते हुए कर संग्रह में सहायता शामिल है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 17, 2013, 18:14