जीडीपी में योगदान करते हैं बाहरी लोग : संयुक्त राष्ट्र

जीडीपी में योगदान करते हैं बाहरी लोग : संयुक्त राष्ट्र

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट ने इस धारणा को झूठा साबित कर दिया है कि शहरों में बढ़ते प्रवासी बोझ बढ़ा रहे हैं। गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि `बाहरी लोग` निर्माण क्षेत्र के लिए सस्ता श्रमशक्ति उपलब्ध कराकर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ा योगदान देने के साथ ही आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराते हैं।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा भारत में आंतरिक प्रवासियों के सामाजिक समावेशन पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बाहरी और बोझ के रूप में देखे जाने वाले प्रवासियों ने निर्माण और सेवा क्षेत्र में सस्ता श्रम उपलब्ध कराया है जो कि देश की जीडीपी में योगदान है।

रिपोर्ट के मुताबिक, `भार और दुर्बलता पैदा करने के विपरीत प्रवासियों ने सहायता उपलब्ध कराई है। प्रवासियों को न अपनाने या न ही उन्हें सुविधा मुहैया करा कर सरकार प्रवास की कीमत और खतरे को बढ़ा कर इसके विकास की संभावना को घटा रही है।` इसके साथ ही इसका कहना है कि प्रवासी उन खतरनाक और अपमानजनक काम करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं जिसे स्थानीय लोग नहीं करना चाहते। रिपोर्ट के अनुसार, संविधान के नियमों के तहत व्यावहारिक रूप में उन्हें उतनी गरिमा और स्वतंत्रता नहीं दी जाती।

इसके मुताबिक, `नीति निर्माता और शहरी योजनाएं बनाने वाले अप्रवासियों को ज्यादातर नकारात्मक रूप में देखते हैं उनकी लापरवाही और निष्क्रियता से अहितकारी और असहयोगी वातावरण पैदा करते हैं।` भारत में आतंरिक प्रवास शहरी जनसख्या का एक तिहाई हिस्सा है और यह अनुपात बढ़ रहा है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में 40 फीसदी शहरी विकास आंतरिक प्रवास की वजह से हुआ है। भारत में सूरत में 58 फीसदी आबादी प्रवासियों की है, जबकि मुबंई और दिल्ली में 43 फीसदी प्रवासी बसते हैं। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 17, 2013, 15:41

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