Last Updated: Wednesday, October 30, 2013, 20:36
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: आम आदमी पर एक बार फिर महंगाई मार पड़ने वाली है। किरिट पारेख समिति ने सरकार को सलाह दी है कि डीजल के दाम में 5 रुपये प्रति लीटर की तत्काल बढोतरी होनी चाहिए। समिति का मानना है कि सब्सिडीशुदा रसोई गैस सिलेंडरों के कोटे को मौजूदा 9 से घटाकर 6 सिलेंडर प्रति परिवार किया जाए। पारेख ने समिति की रपट पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली को सौंपी। रिपोर्ट सौंपने के बाद पारेख ने संवाददाताओं से कहा कि समिति ने केरोसीन के दाम 4 रुपये प्रति लीटर तथा एलपीजी के दाम 250 रुपये प्रति सिलेंडर बढाने का सुझाव दिया है।
समिति ने डीजल पर सब्सिडी 6 रुपये प्रति लीटर तय करने का सुझाव दिया है और कहा है कि डीजल की कीमतों को साल भर में नियंत्रणमुक्त कर दिया जाए। इस समिति का गठन डीजल व रसोई ईंधन की कीमत तय करने की प्रणाली सुझाने के लिए किया गया था।
इससे पहले 28 अक्टूबर को किरीट पारेख समिति ने डीजल कीमतों में 4 से 5 रुपये बढ़ोतरी की जरूरत बताई थी। हालांकि, समिति ने नियंत्रण वाले पेट्रोलियम उत्पादों के लिए मौजूदा मूल्य सिद्धान्तों को जारी रखने का पक्ष लिया है। विशेषज्ञ समूह को डीजल तथा रसोई गैस के मूल्य तय करने का तरीका सुझाने का काम दिया गया है। समिति अपनी रिपोर्ट बुधवार को सौंपेगी। सूत्रों ने बताया कि समिति ने सुझाव दिया है कि डीजल, केरोसिन तथा रसोई गैस के लिए व्यापार समानता मूल्य के फार्मूला को जारी रखा जाए।
सरकार सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए डीजल और रसोई गैस का मूल्य तय करने के तरीके को बदलने पर विचार कर रही है। पिछले वित्त वर्ष से वित्त मंत्रालय रिफाइनरी कंपनियों को वही मूल्य देने के लिए जोर दे रहा है, जो उन्हें डीजल, केरोसिन या एलपीजी के निर्यात से मिलता। आयात समान मूल्य पद्धति से हटकर निर्यात समान मूलय प्रणाली अपनाने पर पिछले वित्त वर्ष के 1,61,029 करोड़ रुपये की सब्सिडी में से 17,618 करोड़ रुपये कम होंगे।
सूत्रों ने कहा कि समिति ने वित्त मंत्रालय की डीजल, केरोसिन तथा एलपीजी के लिए आयात समान मूल्य को समाप्त करने की मांग को नजरअंदाज किया है। समिति केरोसिन व एलपीजी कीमतों में आंशिक बढ़ोतरी के पक्ष में है। वह चाहती है कि दो से तीन साल में बाजार आधारित मूल्य पर पहुंचा जाए।
फिलहाल डीजल का दाम व्यापार आधारित प्रणाली से तय होता है। इसमें 80 फीसदी आयात मूल्य तथा 20 प्रतिशत निर्यात मूल्य शामिल है। केरोसिन व एलपीजी का दाम आयात समान मूल्य पर आधारित है। वित्त मंत्रालय चाहता था कि 2012-13 में डीजल व केरोसिन के दाम निर्यात समान मूल्य पर आधारित हो, जबकि एलपीजी का दाम 60-40 अनुपात में निर्यात व आयात समानता दरों पर तय हो।
सूत्रों का कहना है कि निर्यात समानता मूल्य पर जाने से 2012-13 में डीजल के लिए सब्सिडी 14,372 करोड़ रुपये घटकर 77,689 करोड़ रुपये रह जाती। इससे एलपीजी पर 2,245 करोड़ रुपये व केरोसिन पर 1,001 करोड़ रुपये बच सकते थे।
First Published: Wednesday, October 30, 2013, 16:42