Last Updated: Thursday, February 6, 2014, 22:24

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने गुरुवार को कहा कि 1993 से 2010 के दौरान कोयला खानों का आवंटन बेहद गैर पारदर्शी तरीके से किया गया और यही नहीं स्क्रीनिंग समिति की समूची प्रक्रिया कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने पर केंद्रित रहीं।
कोयला एवं इस्पात पर स्थायी समिति की 42वीं रपट में कहा गया है, ‘समिति का निष्कर्ष है कि 1993 से 2010 के दौरान कोयला ब्लाकों के आवंटन के लिए बेहद गैर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई।’ इसने आगे कहा है कि स्क्रीनिंग समिति की पूरी जांच प्रक्रिया कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने पर केंद्रित रहा। इसमें कंपनियों के पुराने रिकार्ड पर ध्यान नहीं दिया गया और साथ ही यह भी नहीं देखा गया कि इन कोयला ब्लाकों के लिए अंतिम उपयोग के लिए उनकी तैयारियां कैसी हैं। ज्यादातर आवंटित कोयला ब्लाकों का विकास 13 से 15 साल बाद भी नहीं किया जा सका।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने इससे पहले निष्कर्ष निकाला था कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को बिना नीलामी के कोयला खानों के आवंटन से सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। सीबीआई कोयला खानों के आवंटन में अनियमितता की जांच कर रही है। यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी चल रहा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 6, 2014, 22:24