Last Updated: Saturday, April 26, 2014, 15:29

मुंबई : आगामी मानसून सत्र में सामान्य से कम बारिश हुई तो चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर आधा-पौना प्रतिशत कम हो सकती है और रिजर्व बैंक को ब्याज दर में कटौती का फैसला 2015 तक टालना पड़ सकता है। यह बात बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) की एक रिपोर्ट में कही गई है।
अमेरिका की प्रमुख वित्तीय कंपनी ने एक अनुसंधान रिपोर्ट में कहा, यदि बारिश सामान्य होती है तो वृद्धि बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच जानी चाहिए जो पिछले साल 4.7 प्रतिशत थी। हमारा अनुमान है कि कम बारिश से वृद्धि दर आधा-पौना प्रतिशत प्रभावित होगी। रिपोर्ट में कहा, सामान्य बारिश रही तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति मार्च 2015 तक घटकर सात प्रतिशत पर आ सकती है जिससे दिसंबर तक आरबीआई के लिए दरों में कटौती की गुंजाइश बन सकेगी। पर अल नीनो के कारण यदि मानसून कमजोर रहा तो खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर आठ से 10 प्रतिशत पर पहुंच सकती है जिससे नीतिगत ब्याज दर में कटौती 2015 तक टल जाएगी। भारतीय मौसम विभाग ने कल अपने पूर्वानुमान में कहा कि अल-नीनो के असर के से 2014 में मानसूनी वष्रा सामान्य से 5 प्रतिशत कम रह सकती है।
अलनीनो प्रशांतसागरीय गर्म जलधाराओं के तापमान में अचानक वृद्धि की परिस्थिति है। इस तरह के हालात 4 से 12 साल में एक बार पैदा होते हैं और इसका भारत समेत क्षेत्र में वष्राकाल में वष्रा पर असर पड़ता है। अल-नीनो के चलते 2009 में भारत में सूखा पड़ा था। हालांकि ड्यूश बैंक का अनुमान है कि कम बारिश का कोई ज्यादा असर नहीं होगा। ड्यूश बैंक ने कहा कि कुल वृद्धि में कृषि क्षेत्र का योगदान बहुत कम है। फिलहाल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14 प्रतिशत है, हालांकि इस क्षेत्र में सबसे अधिक लोग काम करते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, April 26, 2014, 15:29