मनी लांड्रिंग एक वैश्विक समस्या : प्रणब मुखर्जी

मनी लांड्रिंग एक वैश्विक समस्या : प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि वह विदेश में जमा चोरी की संपत्ति को वापस लाने की कार्रवाई तेज करने के लिए सम्बद्ध अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ान तथा अपनी दक्षता में सुधार करे।

मुखर्जी ने यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा आयोजित दूसरे प्रवर्तन दिवस कार्यक्रम में परोक्ष रूप से काले धन का जिक्र करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, `निदेशालय को अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ (सहयोग के) तौर तरीके तय करने चाहिए ताकि देश से चुराकर विदेश ले जाया गया धन वापस लाने के संबंध में कार्रवाई तेज हो सके।` राष्ट्रपति ने निदेशालय से कहा कि वह एफएटीएफ, यूरोशियन ग्रुप आन कंबेटिंग मनी लांड्रिंग एंड फिनांसिंग आफ टेरेरिज्म (ईएजी) तथा एशिया पैसेफिक ग्रुप आफ मनी लांड्रिंग (एपीजी) जैसे बहुपक्षीय संगठनों से संवाद करे।

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को मनी लांडरिंग निवारण (एएमएल) और आंतकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ उपाय (सीएफटी) के मामले में दूसरे देशों की समकक्ष एजेंसियों के साथ सम्पर्क और सहयोग बढ़ाना चाहिए। इस कार्य्रकम में फिनांशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के अध्यक्ष व्लादिमीर नेशाएव तथा स्विट्रलैंड के फेडरल आफिस आफ जस्टिस के प्रमुख मारियो माइकल एफेंतरांजर भी मौजूद थे।

प्रणब ने इसके साथ ही सीमा पार मनी लांड्रिंग तथा आंतकी गतिविधियों को वित्तपोषण पर काबू पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया ताकि देश में अधिक कारोबार की दृष्टि से अनुकूल वैध निवेश आए। उन्होंने कहा, `मनी लांड्रिंग व आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के खिलाफ प्रभावी कदम उठाना आज के वैश्विक आर्थिक तथा सुरक्षा माहौल बहुत जरूरी है और यह ठीक है कि अधिकांश देश इन मुद्दों पर सही ढंग से ध्यान दे रहे हैं।`

राष्ट्रपति ने कहा, `इस तरह के कदमों से अधिक निवेश अनुकूल व्यवस्था मजबूत होती है और वैध निवेश व वित्त प्रवाह को बल मिलता है।` इस कार्यक्रम में राजस्व सचिव राजीव टकरू भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भारत ने भी इस समस्या से निपटने के लिए मजबूत मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) लागू किया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए प्रणब ने कहा कि उन्हें पीएमएलए में संशोधन से जुड़ा विधेयक-2011 संसद में पेश करने का मौका मिला जिसके जरिए हमारे देश ने एफएटीएफ के सुझावों के हिसाब से अपने मनी लांड्रिंग कानून को मजबूत बनाया। अफेंतलेंजर की उपस्थिति को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्विटजरलैंड तथा भारत के बीच प्रवर्तन मामलों में बढते द्विपक्षीय सहयोग तथा एक दूसरे देश की एजेंसियों के बीच भागीदारी का प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने कहा, `मनी लांड्रिंग वैश्विक खतरा है और सभी देशों की विधि प्रवर्तन एजेंसियों को इससे लड़ने में सहयेाग करना होगा।` उल्लेखनीय है कि भारत, स्विटजरलैंड पर दबाव डाल रहा है कि वह अपने यहां के बैंकों में धन जमा कराने वाले कुछ भारतीयों की जानकारी दे। लेकिन स्विटजरलैंड के अधिकारियों का कहना है कि वे 2012 के बाद की ही जानकारी देंगे जब प्रत्यक्ष कर बचाव संधि प्रभाव में आई थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने प्रतर्वन निदेशालय से वित्तीय जांच एवं सीमा पारीय धन प्रवाह को पकड़ने में विशेषज्ञता हासिल करने को कहा। निदेशालय के संवेदनशील काम का जिक्र करते हुए उन्होंने इसके अधिकारियों से कहा कि वे अपना काम पूरी दक्षता व ईमानदारी से करें। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 1, 2014, 21:13

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