Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 20:04
मुंबई : नीतिगत दरों में वृद्धि की तमाम अटकलों को दरकिनार करते हुये रिजर्व बैंक ने आज नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं कर बाजार को सुखद आश्चर्य में डाल दिया। उद्योग जगत और शेयर बाजार ने बैंक के इस कदम का स्वागत किया है हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि महंगाई पर उसकी नजर रहेगी और यदि मुद्रास्फीति के दबाव के चलते यदि जरूरी समझा गया तो वह नीतिगत घोषणा की तारीख का इंतजार किए बगैर किसी भी समय नीतिगत दरों में बदलाव कर सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज जारी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में अल्पकालिक उधार की प्रमुख नीतिगत दर ‘रेपो’ को 7.75 प्रतिशत पर बनाये रखा। बैंकों द्वारा नकदी के रूप में रखी जाने वाली नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) दर को भी 4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा। इस लिहाज से रिवर्स रेपो दर 6.75 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर 8.75 प्रतिशत पर स्थिर रहीं।
उद्योग जगत और शेयर बाजार में यह धारणा बनी हुई थी कि लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुये रिजर्व बैंक रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। इससे कर्ज लेना और महंगा हो जाता।
गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मुद्रास्फीति के आगे आने वाले नये आंकड़ों की प्रतीक्षा की जानी चाहिये। जल्दबाजी में अधिक सक्रियता दिखाते हुये नीतिगत दरों में बदलाव ठीक नहीं। हालांकि, उन्होंने कहा यह भी कहा ‘यदि खाद्य पदार्थों और ईंधन में मुद्रास्फीति नीचे नहीं आती है तो रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा की तय तिथियों के बीच में भी कारवाई कर सकता है।’
उद्योग जगत ने दरें नहीं बढ़ाने के रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत करते हुये कहा कि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये नीतिगत उपाय ही एकमात्र समाधान नहीं है। सरकार को खाद्य पदाथोर्ं की महंगाई काबू में रखने के लिये आपूर्ति पक्ष में सुधार लाना चाहिये। भंडारण सुविधायें बेहतर बनानीं होंगी।
गवर्नर राजन ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुये कहा कि दूसरी छमाही में वृद्धि बेहतर रहने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में जारी वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की वापसी से वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की आशंका है। भारत सहित दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्व्थाओं की विदेशी वित्तपोषण पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुये इसका असर पड़ सकता है।राजन ने चालू खाते के घाटे यानी कैड की मौजूदा स्थिति पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि कैड के मौजूदा स्तर पर वह काफी संतोषजनक महसूस कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कैड 26.9 अरब डालर पर रहा है जो कि जीडीपी का 3.1 प्रतिशत है। एक साल पहले इसी अवधि में यह जीडीपी का 4.5 प्रतिशत रहा था।
शेयर बाजार में आज मौद्रिक नीति का सकारात्मक असर रहा। बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 248 अंक बढ़कर 20,859.86 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 78.10 अंक चढ़कर 6,217.15 अंक हो गया। इससे पहले महंगाई के उंचे आंकड़े आने के बाद ब्याज दरें बढ़ने की अटकलों से पिछले छह कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 714 अंक लुढक गया था। रपया बड़ी गिरावट से संभलकर कारोबार की समाप्ति पर 8 पैसे नीचे रहकर 62.09 रपये प्रति डालर पर बंद हुआ।
रघुराम राजन ने सोने के आयात पर उंचे शुल्क जैसे प्रतिबंधों को हटाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा सोने पर आयात शुल्क बढ़ाने से तस्करी को बढ़ावा मिलता है। आयात शुल्क बढ़ाये बिना ही चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखने के प्रयास होने चाहिये। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डा. सी. रंगराजन ने रिजर्व बैंक फैसले को संतुलन साधने का कठिन निर्णय बताया। ‘यह कठिन काम है, मेरा मानना है कि रिजर्व बैंक की प्राथमिकता अभी भी मूल्य स्थिरता ही है, यही वजह है कि उसने इस पर लगातार नजर रखने को कहा है।’
उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 11.24 प्रतिशत और थोक मूल्य मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चस्तर 7.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि, अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन में 1.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति जितनी बढ़नी थी बढ़ चुकी, यह दिसंबर से नीचे आने लगेगी। बेहतर उत्पादन और सर्दियों की उपज मंडियों में आने से दाम नीचे आयेंगे।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने रिजर्व बैंक के कदम को सही ठहराते हुये कहा कि ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये किया गया है। ‘रिजर्व बैंक गवर्नर को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति नीचे आयेगी, हमें उम्मीद करनी चाहिये कि वह सहीं हों और यदि ऐसा होता है तो उनका यह निर्णय बेहतर साबित होगा।’ बैंकर ने भी नीति का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक वृद्धि की स्थिति सुधारने और वृहद आर्थिक संतुलन साधने में मदद मिलेगी।
स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य ने कहा बैंक जमा खाते पर ब्याज दरों में कटौती पर बैंक विचार नहीं करेगा। ‘इससे जमा पूंजी रखने वालों को कष्ट पहुंचता है, हम ऐसा नहीं करना चाहते। हमारी दरें 15 जुलाई के स्तर से उंची हैं, मुझे नहीं लगता कि इसमें तुरंत किसी तरह की कटौती होगी।’(एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 18, 2013, 20:04