`ओडिशा में अवैध खनन से 60,000 करोड़ रुपए का नुकसान`

`ओडिशा में अवैध खनन से 60,000 करोड़ रुपए का नुकसान`

नई दिल्ली : ओडिशा में 2008-2011 के दौरान करीब 60,000 करोड़ रुपए मूल्य के खनिज का अवैध खनन हुआ। न्यायमूर्ति एमबी शाह जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट यह बात कही है।

सरकार द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट का पहला हिस्सा सोमवार को संसद में पेश किया गया। रिपोर्ट पांच हिस्से में है। इसमें कहा गया है कि खनिज के मामले में मालामाल राज्य में अधिकतर खनन कार्य नियमों, नियमन तथा पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर किए गए।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘राज्य में 59,200 करोड़ रुपए का लौह एवं मैंगनीज अयस्क का खनन हुआ। राज्य सरकार को यह राशि बरामद करनी चाहिए।’ राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में कहा कि बरामद राशि का उपयोग राज्य के क्योंझर तथा सुदंरगढ़ जिलों के विकास में करना चाहिए जो अवैध खनन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘इससे कम-से-कम जनजातीय समुदाय की गरीबी दूर की जा सकती जो इससे प्रभावित हैं या जिनकी जमीन खनन उद्देश्य के लिए उपयोग की गई हैं।’ खनन गतिविधियों के कारण जनजातीय समुदाय का विस्थापन हुआ और उनकी दयनीय स्थिति बनी हुई है।

ओडिशा सरकार पहले ही प्रमुख लौह और इस्पात बनाने वाली उन कंपनियों को 146 नोटिस भेज चुकी हैं जो कथित तौर पर अवैध खनन में शामिल रही हैं। वर्ष 2008 से 2011 के बीच खनन गतिविधियों में अनियमितता की जांच के लिए गठित आयोग ने कहा, ‘इस अवधि के दौरान सरकारी मशीनरी एक तरह से धाराशायी हो गई थी। ऐसा लगता है कि सरकारी मशीनरी खनन माफिया, राजनेताओं, ताकतवर लोगों तथा कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के सामने असहाय हो गई थी।’

मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए आयोग ने कहा है, ‘चूंकि इसमें ताकतवर लोग, राज्य एवं बाहर के बड़े व्यापारी, राजनीतिक इकाई, उच्च स्तर के अधिकारी संलिप्त हैं, इसीलिए राज्य पुलिस के लिए तथ्यों और वास्तविकताओं का पता लगाना संभव नहीं होगा।’ शाह आयोग ने कहा, ‘यह सिफारिश की जाती है कि 2008 से 2011 के दौरान उन सभी मामलों में सीबीआई जांच करवाई जाए जहां पुलिस, सतर्कता विभाग ने एफआईआर दर्ज की है।’

हालांकि ओड़िशा सरकार ने आयोग की इस बात से असहमति जतायी है कि उक्त अवधि में राज्य मशीनरी ध्वस्त हो गयी थी। राज्य सरकार ने कहा, ‘कमोबेश जांच पूरी हो गई है और ऐसा लगता है कि इन मामलों की जांच किसी अन्य एजेंसी को देने की जरूरत नहीं है।’ उच्च सदन में पेश कार्रवाई रिपोर्ट में नवीन पटनायक की अगुवाई वाली सरकार ने कहा है, ‘अगले महीने के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए जाएंगे। कुछ आरोपी फरार हैं।’

अवैध खनन में राजनेताओं के शामिल होने के आरोपों से इनकार करते हुए राज्य ने कहा, ‘किसी भी राजनेता के खिलाफ कोई विशिष्ट शिकायत नहीं मिली है।’ आयोग ने सुझाव दिया है कि लौह अयस्क का निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और इस समय अगर यह संभव नहीं है तो संरक्षण के लिए उत्पादन 5 करोड़ टन सालाना सीमित किया जाना चाहिए। फिलहाल यह 14 करोड़ टन सालाना से अधिक है।

केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि वह लौह एवं मैंगनीज अयस्क के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। हालांकि ओड़िशा सरकार ने बड़े पैमाने पर हो रहे खनन से पर्यावरण नुकसान को देखते हुए राज्य में कुछ भागों में उत्पादन सीमा निर्धारित करने का निर्णय किया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 10, 2014, 18:44

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