शीर्ष नौकरशाहों ने की मूल्य स्थिति की समीक्षा

शीर्ष नौकरशाहों ने की मूल्य स्थिति की समीक्षा

नई दिल्ली : मंत्रिमंडल सचिव अजित सेठ की अध्यक्षता में शीर्ष नौकरशाहों ने मौजूदा मूल्य स्थिति के साथ साथ मानसून में देरी से मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिये तैयारियों की आज समीक्षा की।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल सचिव ने आवश्यक वस्तुओं की मूल्य स्थिति की समीक्षा के लिये सचिवों की समिति की बैठक की। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब फल, सब्जियों तथा दूध के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में तीन महीने के उच्च स्तर 8.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी। बैठक में वाणिज्य और उद्योग, कृषि, वित्त समेत प्रमुख आर्थिक मंत्रालयों के सचिव शामिल हुए।

नई सरकार के एजेंडे में मुद्रास्फीति को काबू में रखना सबसे उपर है। अपने चुनाव घोषणापत्र में, भाजपा ने कहा था कि उसकी सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिये तत्काल कदम उठाएगी।

चुनाव घोषणापत्र में मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिये जिन कदमों को सूचीबद्ध किया गया है, उनमें मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने के अलावा जमाखोरी तथा काला बजारी से निपटने के लिये विशेष अदालतों का गठन, भारतीय खाद्य निगम का विभाजन तथा राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना करना शामिल है। हालांकि, दक्षिण पश्चिम मानसून केरल तट पर आ गया है, लेकिन इसके भी सामान्य से कम रहने का अनुमान जताया गया है।

उल्लेखनीय है कि देश में करीब 60 प्रतिशत कृषि उत्पादन मानसून पर निर्भर है और मानसून में देरी या कमजोर रहने से जरूरी जिंसों के दाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

रिजर्व बैंक ने लगातार उंची रही मुद्रास्फीति से लड़ने के अपने प्रयासों के तहत इस महीने के शुरू में घोषित अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर :रेपो: को 8 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 5.2 प्रतिशत रही।

(एजेंसी)

First Published: Saturday, June 7, 2014, 21:10

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