Last Updated: Wednesday, October 30, 2013, 20:34
नई दिल्ली : शहरी सहकारी बैंकों का इस्तेमाल कालेधन को सफेद बनाने (मनी लांड्रिंग) में किया जा रहा है, इस तरह की जानकारी मिलने के बाद सरकार की चिंता बढ़ी है। इन बैंकों के पास दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि है।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में आर्थिक आसूचना परिषद (ईआईसी) की हाल में हुई बैठक के दौरान शहरी सहकारी बैंकों के दुरपयोग पर चर्चा हुई। इन सहकारी बैंकों पर बहु-राज्य सहकारी समितियों अथवा राज्य सहकारी सोसायटी के जरिए केंद्र और राज्य सरकार का दोहरा नियंत्रण है।
इस बैठक में केंद्रीय आर्थिक शुफिया ब्यूरो, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया था। बैठक में इन बैंकों के जरिए मनी लांड्रिंग पर नियंत्रण के तरीके पर चर्चा हुई।
शहरी सहकारी बैंकों में अनियमितता की समस्या गंभीर हैं। देश भर में इन बैंकों की पहुंच और 8,100 से अधिक शाखाओं का नेटवर्क हैं जहां 2.09 लाख करोड़ रपए की राशि जमा है। इन बैंकों ने 1.35 लाख करोड़ रपए का कर्ज भी दिया है।
बैठक के ब्यौरे में कहा गया यह मामला गंभीर है इसमें जनता की कड़ी मेहनत की कमाई का मामला है। शहरी सहकारी बैंक, रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर जनता की इस राशि को जोखिम में डाल रहे हैं। इनके जरिये बैंकिंग चैनल का दुरपयोग मनी लांड्रिंग के लिये होने दिया जा रहा है जो देश की वित्तीय स्थिति और सुरक्षा के लिए खतरा है।
सीईआईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में ईआईसी पर हुई पिछली बैठकों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुजरात के सहकारी बैंकों की रपट से संकेत मिलता है कि मृत व्यक्तियों के नाम पर 9,166 फर्जी बचत खाते खोले गये और इनमें 161 करोड़ रुपए का कालाधन डाला गया जिसे जमा करने के बाद तुरंत निकाल लिया गया। उत्तर प्रदेश के एक अन्य बैंक की रिजर्व बैंक की जांच रपट में भी कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 30, 2013, 20:34