Last Updated: Tuesday, February 18, 2014, 17:54
नई दिल्ली : ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आयकर विभाग के साथ कर विवाद को बातचीत से सुलझाने के मुद्दे पर अपना मन पक्का नहीं कर सकी है और अब इस मामले में उसे नोटिस भेजने का निर्णय राजस्व विभाग को करना है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज यह बात कही। वित्त मंत्रालय वोडाफोन से समझौते की बातचीत का प्रस्ताव वापस लेने के बारे में कैबिनेट नोट जारी कर चुका है। वोडाफोन के साथ 20,000 करोड़ रपये के कर विवाद को आपसी सहमति से निपटाने की पेशकश करने के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कदम बढाया गया था।
चिदंबरम ने कहा ‘‘वोडाफोन के खुद के शब्दों में, वे इस बारे में निश्चय पर नहीं पहुंच सके हैं ले पा रहे हैं कि इस मुद्दे के समाधान के लिये आगे बढ़ा जाये अथवा नहीं। सुलह सफाई पर बातचीत शुरू ही नहीं हो पाई।’’ केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2013 में वित्त मंत्रालय के कंपनी के साथ समाधान निकालने के लिए बातचीत का प्रस्ताव मंजूर किया था। यह विवाद वर्ष 2007 में हचिसन एस्सार में हचिसन व्हाम्पोआ की हिस्सेदारी के अधिग्रहण में शेयरों पर पूंजीगत लाभ पर कर से जुड़ा है।
वर्ष 2007 में हुये इस सौदे के पर मूल कर मांग 7,990 करोड़ रुपये की है, जबकि बकाया राशि में इतनी ही राशि का जुर्माना और ब्याज शामिल करते हुये यह राशि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। उन्होंने कहा ‘‘नया नोटिस जारी करने की आवश्यकता नहीं है .. नोटिस पहले से ही वहां है ..।’’ अब यह कर विभाग पर निर्भर करता है कि नोटिस पर आगे क्या कारवाई होनी चाहिये।
वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी ने कर विवाद मामले में पिछले महीने ही सरकार को द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और सुरक्षा समझौते (बीआईपीए) के तहत एक अनुपूरक नोटिस भेजा है। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने आपसी सहमति की बातचीत का प्रस्ताव वापस लेने का फैसला किया। वित्त मंत्रालय हालांकि, इस कर विवाद को निपटाने के लिये काफी गंभीर था लेकिन कंपनी के ढुलमुल रवैये की वजह से बातचीत टूट गई।
सूत्रों के अनुसार वोडाफोन के नोटिस से उसके अड़ियल रख का पता चलता है। कंपनी कैबिनेट द्वारा तय शतोर्ं के दायरे में रहकर सुलह बातचीत करने को लेकर ज्यादा रचि नहीं ले रही है। सूत्रों के अनुसार कंपनी उसके वोडाफोन इंडिया सर्विसिज का 3,700 करोड़ रुपये का ट्रांसफर प्राइसिंग मामला भी पूंजीगत लाभकर के साथ शामिल करवाना चाहती है। यह मांग वित्त मंत्रालय को स्वीकार नहीं है।
यह मामला बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है। भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय इसमें वाद विवाद कर रहा है इसलिये इस मुद्दे को आपसी सहमति की बातचीत का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले 2012 में वोडाफोन पूंजीगत लाभकर मामले में कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि हांगकांग स्थित हचिसन से भारत स्थित संपत्तियों की खरीद पर कंपनी कोई पर कर देनदारी नहीं बनती। सरकार ने बाद में आयकर कानून में 2012 में पिछली तिथि से बदलाव किया जिसके बाद कंपनी कर देनदारी के दायरे में आ गई। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 18, 2014, 17:54