Last Updated: Saturday, January 25, 2014, 14:45
मुंबई : देश के शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में गत सप्ताह मामूली तेजी रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह 0.33 फीसदी या 69.94 अंकों की तेजी के साथ शुक्रवार को 21,133.56 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 0.08 फीसदी या 5.10 अंकों की तेजी के साथ 6,266.75 पर बंद हुआ। गत सप्ताह सेंसेक्स के 30 में से 16 शेयरों में तेजी रही। एक्सिस बैंक (4.70 फीसदी), विप्रो (3.76 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (2.29 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (2.22 फीसदी) और टीसीएस (1.47 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे कोल इंडिया (5.44 फीसदी), भेल (3.62 फीसदी), टाटा पावर (3.38 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (2.39 फीसदी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (1.98 फीसदी)।
गत सप्ताह बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में आधी फीसदी गिरावट रही। मिडकैप 0.49 फीसदी या 31.77 अंकों की गिरावट के साथ 6,455.26 पर और स्मॉलकैप 0.49 फीसदी या 32.3 अंकों की गिरावट के साथ 6,444.46 पर बंद हुआ।
गत सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने यह सलाह दी कि मौद्रिक नीति तय करने के मामले में बैंक को उपभोक्ता महंगाई दर के लक्ष्य का उपयोग करना चाहिए। समिति का चुनाव पिछले साल रघुराम राजन के रिजर्व बैंक गवर्नर बनाए जाने के तुरंत बाद किया गया था। समिति को ऐसे तरीकों का सुझाव देना था, जिससे कि मौद्रिक नीति निर्माण प्रक्रिया पारदर्शी और अनुमान लगाने योग्य हो सके।
मंगलवार 21 जनवरी को जारी रिपोर्ट में समिति ने दो फीसदी ऊपरी या नीचे की गुजाइश के साथ चार फीसदी उपभोक्ता महंगाई दर को लक्ष्य बनाने का सुझाव दिया। समिति ने सुझाव दिया कि मौद्रिक नीति का लक्ष्य उपभोक्ता महंगाई दर को घटाकर लक्षित दायरे तक लाना होना चाहिए। उपभोक्ता महंगाई दर अभी 10 फीसदी है। अगले 12 महीने में इसे घटाकर आठ फीसदी और उसके अगले 12 महीने में इसे और घटाकर छह फीसदी तक लाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत से अलग अधिकतर देशों में थोक महंगाई दर की जगह उपभोक्ता महंगाई दर को अधिक तरजीह दी जाती है। रिजर्व बैंक अब तक मौद्रिक नीति तय करते वक्त महंगाई, विकास और मौद्रिक स्थिरता जैसे पहलुओं पर ध्यान देता रहा है। इसके पास महंगाई दर का अब तक कोई लक्ष्य नहीं था, जिसके कारण कई बार मौद्रिक नीति की दिशा से निवेशक आश्चर्यचकित हो जाते थे।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई विकसित देशों की तरह भारत में भी मौद्रिक नीति गवर्नर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा प्रत्येक सदस्यों के मतों के रुझान के आधार पर तय की जानी चाहिए। अब तक की परंपरा के मुताबिक गवर्नर मौद्रिक नीति तय करते थे, जिसमें उन्हें संबंधित अधिकारियों से राय मिलती है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, January 25, 2014, 14:45