कोई इन माओवादियों को तो समझाओ

Last Updated: Thursday, July 28, 2011, 15:40

कहते हैं न कि जिसपर बीतती है उसका दर्द वही बयां कर सकता है. जरा सोचिए, मंडप सजा हो, दुल्हन वरमाला लेकर अपने सपनों के राजकुमार का इंतजार कर रही हो, विधवा मां को भी उस पल का इंतजार हो कि पति ने दुनिया से विदा होते समय जो जिम्मेदारी सौंपी थी उससे आज वह मुक्त हो जाएगी और इतने वर पक्ष की ओर से संदेशा आए कि बारात नहीं आ सकती है तो इस हालात में उस परिवार पर क्या बीत रही होगी जिसके घर से डोली उठने वाली थी.