Last Updated: Saturday, October 12, 2013, 00:27

नई दिल्ली: आसाराम बापू की हमराज़ और उनकी ख़ासमख़ास शिल्पी का भी इस मेरठ के आश्रम में हुए ज़मीन के कब्जे और क़त्ल से ग़हरा कनेक्शन है जिस सतीश कालरा नाम के शख्स का क़त्ल हुआ है वो कोई और नहीं शिल्पी की बहन का पति है।
आसाराम के इस आश्रम का एक और घोटाला भी है। आश्रम की ज़मीन हरिओम समीति के नाम से ली गई। वही हरिओम शब्द जिसका आसाराम खूब नाम लेते हैं। आसाराम और शिल्पी के बीच गुरु शिष्या का रिश्ता है या फिर कुछ और इसे लेकर पूरी दुनिया में बहस हो रही है लेकिन एक और खुलासा आसाराम और शिल्पी पर गहराए शक को बढ़ा रहा है। शिल्पी के जीजा का मेरठ में मर्डर किया गया। खुलासा ये भी है कि झगड़े की वजह वो ज़मीन है, जिसपर बना है आसाराम का आश्रम आसाराम और शिल्पी। ये वो दो चेहरे हैं जिन्हें लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। मेरठ में खुलासा हुआ है कि शिल्पी के बहनोई का सितंबर 2012 में क़त्ल किया गया और क़त्ल की वजह बताई जा रही है वो ज़मीन जो आज आसाराम के आश्रम का हिस्सा है।
सितंबर 2012 में आसाराम की सहयोगी शिल्पी के जीजा का क़त्ल हुआ। मर्डर उसी जमीन पर हुआ जहां आसाराम बापू का आश्रम बना हुआ है। शिल्पी के जीजा सतीश कालरा के मर्डर के बाद शिल्पी की बहन ने उनकी 795 गज़ जमीन आश्रम के नाम पर कर दी .लेकिन इसी के साथ आसापास के कब्जे वाली ज़मीन की एवज़ में आश्रम के सेवादार से 1 करोड़ रुपए की डील करने की भी बात आई है। तफ़्तीश बताती है कि शिल्पी के जीजा ने मिल्क प्लांट के आसपास की ज़मीन पर कब्जा कर रखा था जो ज़मीन कुल मिलाकर क़रीब 3 हजार गज से भी ज़्यादा थी। जब ज़ी मीडिया की टीम इस पूरे इलाके का सच जानने आश्रम में पहुंची तो पूरा इलाका ख़ुफिया कैमरे में क़ैद हो गया। पूरी ज़मीन आश्रम के पास ही है और जब आसाराम के सेवादार से सवाल जवाब किए गए तो उसने बातों-बातों में एक नहीं कई राज़ उगल दिए जिसमें एक बड़ा झूठ भी था। अब आप ज़रा इस सच्चाई को भी जान लीजिए। आश्रम को ज़मीन ही 16 फरवरी 2013 को दी गई थी। जाहिर है कि आश्रम के सेवादार झूठ बोल रहे हैं लेकिन उन्होंने एक सच्चाई भी उगल दी।आश्रम की ज़मीन पर हुए इस क़त्ल की कहानी बेहद डरावनी है लेकिन जानकारों की मानें तो इस पूरी कहानी में आसाराम की ख़ास शिल्पी का बड़ा हाथ है। उसने अपने जीजा की पूरी ज़मीन आश्रम को भी दिलवा दी और फिर उस ज़मीन के बदले में अपनी बहन रेणु को 70 लाख रुपए भी दिलवा दिए।
आसाराम बापू खुद हरिओम का जाप करते हैं और मेरठ में उनके आश्रम को लेकर हुए खुलासे इशारा कर रहे हैं कि रामनाम की आड़ में जमीनों पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं। ऐसे कई लोग हैं, जिनकी ज़मीनों पर इस आश्रम में कब्जा किया गया। आरोप ये भी है कि शिल्पी की बहन ने दूसरे मकानों से कब्जा की हुई ज़मीन आश्रम के सेवादार को दी। मामला अदालत पहुंच चुका है जहां सेवादारों ने दावा किया है कि उन्होंने केस ख़त्म होने तक शिल्पी की बहन को दिए जाने वाली पूरी रकम में से 30 लाख रुपए रोक लिए हैं। सवाल है कि आखिर आसाराम के सेवादार दूसरों के घरों पर कब्जा करने वाली ज़मीनों को क्यों खरीदते हैं। क्या यही है आसाराम के हरिओम जाप का राज़। बगल में छुरी, मुंह में राम, वाह रे आसाराम !
First Published: Friday, October 11, 2013, 23:13