Last Updated: Thursday, November 14, 2013, 23:23
ज़ी मीडिया/क्राइम रिपोर्टर दहशतगर्दों ने एक बार फिर तैयार कर लिया आतंक का एक बड़ा प्लान। खुफिया सूत्रों की मानें तो देश के दुश्मनों के निशाने पर इस बार ऐतिहासिक सोनपुर मेला है। सारण प्रमंडल होने वाला ये मेला पूरे एक महीने तक चलता है और इस दौरान बिहार के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी लाखों की संख्या लोग यहां आते हैं। लेकिन अब यही मेला बन गया है आतंकियों का टार्गेट।
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ये साज़िश एक बार फिर इंडियन मुजाहिदीन ने अपने बिहार और झारखंड मॉड्यूल की मदद से तैयार किया है। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने गृह मंत्रालय के जरिये आतंकियों की इस साजिश की जानकारी बिहार सरकार तक पहुंचा दी है जिसके बाद सूबे के डीजीपी ने पूरे मेला क्षेत्र की सुरक्षा सख्त करने का निर्देश जारी कर दिया है। खुफिया विभाग की ओर से दी गई जानकारी में जो सबसे खतरनाक बात है वो ये कि आतंकी मेले को दहलाने के लिए छिटपुट धमाके तो कर ही सकते हैं। संगठन का आत्मघाती दस्ता भीड़भाड़ वाले जगह पर या किसी बड़ी हस्ती के मेले में आने पर भी अपनी साजिश को अंजाम देने की कोशिश कर सकता है। यानी साफ है कि पटना में हुए धमाके की तर्ज पर ही आतंकियों ने बनाया डबल अटैक का प्लान।
आईबी की रिपोर्ट ने बिहार में खलबली मचा दी है। मेले में सिक्योरिटी का मुकम्मल इंतजाम करना पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि बात किसी एक दिन की नहीं है। मेला पूरे एक महीने चलेगा और इस दौरान आतंकवादी कभी भी दे सकते हैं अपनी साजिश को अंजाम। खुफिया विभाग ने गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि पटना के बाद आतंकियों का अगला निशाना है बिहार का मशहूर सोनपुर मेला। यानी सैकड़ों साल पुराने इस मेले को टार्गेट बना सकते हैं दहशतगर्द। जानकारों का मानना है कि बिहार सरकार के पास समय रहते खुफिया विभाग ने आतंकी साजिश की जानकारी पहुंचा दी है। इसलिये सोनपुर मेले की तैयारी के सिलसिले में थोड़ी भी ढिलाई नहीं की जानी चाहिये।
बताया जा रहा है कि बिहार के डीजीपी को भेजे गये इनपुट में इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि इंडियन मुजाहिदीन ने सोनपुर मेले मे दहशत फैलाने के लिए अपने रांची और दरभंगा मॉड्यूल के आतंकियों को जिम्मेदारी सौंपी है और इस पूरी साजिश का ताना-बाना पाकिस्तानी आतंकी वकास ने खुद रियाज भटकल के निर्देश पर तैयार किया है। बताया जा रहा है कि दरभंगा और रांची मॉड्यूल में एक्टिव आतंकियों के साथ मिलकर वकास इस टेरर प्लान को अंजाम देने की तैयारी में है।
खुफिया विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटना धमाके के बाद शुरू हुई जांच के सिलसिले में जांच एजेंसियों को रांची में एक संदिग्ध आतंकी मुजबिल के घर पर छापेमारी में भी आतंकी साजिश से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले थे और इन दस्तावेजों मे भी बिहार के एक बड़े मेले को निशाना बनाने की बात कही गई थी। बताया जा रहा है कि आतंकियों की साजिश सोनपुर मेले में भी पटना की तरह ही लो इंटेनसिटी ब्लास्ट करने की है ताकि भगदड़ मचाने के साथ ही दहशत का माहौल भी तैयार किया जा सके। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने इसके साथ ही मेले में भीड़भाड़ वाली जगह पर आत्मघाती हमला होने की भी संभावना जताई है। जानकारों का कहना है कि इंडियन मुजाहिदीन ने बिहार और झारखंड में कई जगहों पर अपने स्लीपर सेल तैयार कर लिये हैं और बड़ी संख्या में लोगों को बम बनाने और धमाके करने की ट्रेनिंग दी है और ऐसे ट्रेंड लोग सोनपुर मेला में बड़ी तबाही मचा सकते हैं।
सैकड़ों सालों से सोनपुर मेले का आयोजन खुली जगह में होता आ रहा है। ऐसे में यहां पर सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम कर पाना भी आसान नहीं है। सोनपुर मेले पर आतंकी धमाके के साथ ही मंडरा रहा है आत्मघाती हमले का भी खतरा। ये ख़तरा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि इंडियन मुजाहिदीन के 4 सुसाइड बॉम्बर अब भी बिहार में ही मौजूद हैं और अपने आकाओं का इशारा मिलते ही ये सुसाइड बॉम्बर मेले में मचा सकते हैं तबाही। अगर इंडियन मुजाहिदीन का सुसाइड बॉम्बर एनुल बम धमाका करने से पहले खुद अपना ही शिकार न बना होता तो पटना बम ब्लास्ट के बाद तबाही की जो तस्वीर सामने आती वो इससे भी कहीं ज्यादा भयानक हो सकती थी। धमाके बाद शुरू हुई तफ्तीश में पता चला था कि सुसाइड बॉम्बर एनुल उर्फ तारिक जब अपने जिस्म में बम लगा रहा था तभी उसकी एक गलती से धमाका हो गया और वो गांधी मैदान में तबाही के खौफनाक मंजर का जरिया बनने से पहले ही मौत के आगोश में समा गया।
एनुल की एक गलती से पटना के हजारों बेकसूरों की जान बच गई लेकिन आतंकी दोबारा वैसी ही गलती दोहराएंगे.इस बात की उम्मीद करना बेमानी है। धमाके की जांच कर रही एनआईए की टीम को पता चला है कि पटना ब्लास्ट के लिए इंडियन मुजाहिदीन के रांची मॉड्यूल ने पांच नौजवानों को सुसाइड बॉम्बर बनने की ट्रेनिंग दी थी। एनुल तो मारा गया लेकिन उसके चार दहशतगर्द साथी अब भी कहीं छिपे हुए हैं। आशंका जताई जा रही है कि इंडियन मुजाहिदीन सोनपुर मेले के दौरान आत्मघाती बम धमाकों को अंजाम देने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकती है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक रांची मॉड्यूल के सुसाइड बॉम्बर एनुल को आत्मघाती हमले में मदद करने की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन के दहशतगर्द इम्तियाज अंसारी को दी गई थी लेकिन बम धमाकों के फौरन बाद इम्तियाज मौके पर ही पकड़ा गया। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में इम्तियाज़ ने बताया है कि रियाज भटकल का मददगार हैदर झारखंड मॉड्यूल का एक्टिव आंतकी है और यहां के गरीब और बेरोजगार युवकों को मजहब का वास्ता देकर सुसाइड बॉम्बर बनने के लिए तैयार कर रहा है।
इम्तियाज ने पूछताछ में कबूल किया है कि हैदर ने रांची के पांच युवकों को आत्मघाती धमाकों के लिए ट्रेंड किया था जिनमें से एक एनुल की मौत हो चुकी है लेकिन बाकी चार सुसाइड बॉम्बर अब सोनपुर मेले के लिए खतरा बने हुए हैं और सुरक्षाबलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है उन तक पहुंचने की। हिंदुस्तान में दहशत फैलाने के लिए इंडियन मुजाहिदीन के पास विदेशों से आ रहा है पैसा। ये बात एक बार फिर साबित हुई है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि पटना ब्लास्ट के लिए धनबाद के एक बैंक अकाउंट में विदेशों से पैसा ट्रांसफर किया गया.इस मामले में झारखंड और बिहार पुलिस ने कई हवाला कारोबारियों पर कसा है शिकंजा। आंतक के सौदागर इंडियन मुजाहिदीन के पास विदेशों से पैसा आता है ये तो पक्की बात है लेकिन उसके फंडिंग नेटवर्क तक पहुंचने और नेटवर्क से जुड़े लोगों पर शिकंजा कसने में बिहार पुलिस को एक अहम कामयाबी तब मिली जब लखीसराय में उसकी गिरफ्त में आए हवाला कारोबार से जुड़े चार चेहरे।
ये चारों लखीसराय के रहने वाले हैं और इनके पास से कई बैंकों की पासबुक, मोबाइल फोन, दर्जनों सिमकार्ड और नकदी बरामद की गई है। इनके बैंक डिटेल्स से पता चला है कि इनके खातों में भारत के कई शहरों के अलावा पाकिस्तान से भी पैसा ट्रांसफर किया गया। वहीं इनके फोन कॉल डिटेल बताते हैं कि इन चारों ने पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के 39 एजेंटों से कई बार फोन पर बात की।इन चारों से पूछताछ के बाद पुलिस ने आतंकियों के लिए फंडिंग करने के आरोप में इनके साथ ही 11 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की। जिनमें से आय़शा बानो और जुबैर नामक संदिग्ध आरोपियों को कर्नाटक में गिरफ्तार किया गया है। आतंकियों की फंडिंग से जुड़े मुख्य संदिग्ध गोपाल गोयल की तलाश में बिहार-झारखंड पुलिस और एनआईए की साझा टीम धनबाद भी पहुंची।
पुलिस के मुताबिक धनबाद में गोपाल ही वो शख्स था जिसके बैंक अकाउंट में विदेशों से पैसा आया और आतंकियों तक पहुंचा लेकिन पुलिस के यहां पहुंचने से पहले ही गोपाल घऱ में ताला डालकर फरार हो चुका था। पूछताछ से पता चला कि गोपाल गोयल यहां किराए पर रहता था.पुलिस ने बैंक की उस ब्रांच पर भी छापा मारा जहां गोपाल गोयल का अकाउंट था। अकाउंट डिटेल में ट्रांसफर फंड से साफ हो गया है कि पटना ब्लास्ट के लिए आतंकियों ने धनबाद को सेंटर प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल किया था।
बाद में पुलिस ने ताला तोड़कर गोपाल के कमरे की तलाशी ली और वहां से कई अहम दस्तावेज जब्त किए। एनआईए की टीम ने शहर की कई और बैंक शाखाओं में भी पड़ताल की। इसी मामले में झारखंड पुलिस ने झरिया में बिट्टू साव नाम के एक शख्स को भी गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि आतंकियों के फंडिग नेटवर्क से जुड़े कई और सफेदपोश चेहरे अभी सामने आ सकते हैं। पटना ब्लास्ट के बाद लगातार मिल रहीं खुफिया रिपोर्ट से साफ हो गया है कि अब इंडियन मुजाहिदीन ने बिहार और झारखंड में अपना पक्का ठिकाना बना लिया है। झारखंड के घने जंगलों में नौजवानों को आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है और रचा जा रहा तबाही का मास्टरप्लान। दहशतगर्दों ने झारखंड में तैयार कर लिया है अपना स्लीपर सेल और इन स्लीपर सेल्स की तादाद एक या दो नहीं है।
पटना ब्लास्ट के बाद बिहार-झारखंड में इंडियन मुजाहिदीन के कई ठिकानों का पता चल चुका है जहां जेहाद के नाम पर बेरोजगार और जरूरतमंद नौजवानों के दिलो-दिमाग में भरा जाता है आतंक का जहर। झारखंड के जो छोटे शहर और कस्बे कल तक अनजान समझे जाते थे आज वहां आतंक के आकाओं की बैठक होती हैं और उन बैठकों में बनता है दहशतगर्दी का प्लान। खतरनाक आंतकियों और आत्मघाती दस्तों की नई फसल का चुनाव भी इन्हीं बैठकों में किया जाता है।
पटना ब्लास्ट की जांच में एनआईए को पता चला है कि ब्लास्ट के मास्टर माइंड तहसीन अख्तर ने साथी हैदर के साथ मिलकर झारखंड में कम से कम छह जगहों पर स्लीपर सेल तैयार कर लिया था। रांची में पकड़े गये इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी उज्जैर अहमद ने बताया था कि झारखंड के कई शहरों में दहशतगर्दों के अलग-अलग ग्रुप काफी अर्से से एक्टिव हैं। दहशतगर्दों ने धर्म के नाम पर नौजवानों का ब्रेन वाश किया और फिर उन्हें दहशतगर्दी की खायी में धकेल दिया। सूत्रों के मुताबिक आईएम के आका यासीन भटकल ने अपनी गिरफ्तारी के पहले ही तहसीन को झारखंड और छत्तीसगढ़ में स्लीपर सेल्स तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। तहसीन को इस काम में हैदर नाम के आतंकी का साथ मिल रहा था।
रांची, जमशेदपुर, लोहरदगा, सिमडेगा और हजारीबाग ये वो शहर हैं जहां इंडियन मुजाहिदीन अपनी खासी पैठ बना चुका है। आईएम ने लंबी तैयारी के बाद झारखंड के इन इलाकों में अपना स्लीपर सेल तैयार किया है। खुफिया एजेंसियों से जुड़े लोगों की मानें इंडियन मुजाहिदीन पूरे झारखंड के मुस्लिम बहुल इलाकों में गरीब युवकों को जोड़ने का काम कर रहा है। उसे झारखंड में एक्टिव नक्सली संगठनों से मदद मिलने की बात का भी खुलासा हो चुका है। ये गठजोड़ आने वाले खतरों का साफ संकेत है।
First Published: Thursday, November 14, 2013, 23:23