Last Updated: Sunday, October 13, 2013, 19:08
नई दिल्ली : ‘कयामत से कयामत तक’ और ‘जो जीता वही सिकंदर’ जैसी जबरदस्त हिट फिल्में देने वाले निर्माता-निर्देशक मंसूर अली खान ने जब एक किताब लिखनी शुरू की तो लोगों ने कयास लगाए कि यह किताब फिल्म पर आधारित होगी, लेकिन खान ने इन कयासों के उलट अर्थशास्त्र की बारीकियों पर यह किताब लिखी।
खान की किताब ‘दि थर्ड कर्व : दि एंड ऑफ ग्रोथ’ में तेल व उर्जा के प्रिज्म के जरिए आर्थिक विकास पर ध्यान खींचा गया है और साथ ही इसमें पाठक को प्राथमिक स्थानीय जीवनशैली की ओर ले जाने की कोशिश की गई है।
हाल ही में पुस्तक का विमोचन करने के बाद खान ने बताया, ‘‘मेरे जीवन में 1997 में उस समय बदलाव आना शुरू हुआ जब सरकार ने मेरे वालिद की जमीन का अधिग्रहण करना चाहा। मैंने लोगों के अधिकारों एवं प्राकृतिक संसाधनों पर चीजें तलाशनी एवं पढ़नी शुरू की और तब मेरा सामना ईंधन के आखिरी छोर तक पहुंची ‘पीक ऑयल’ अर्थव्यवस्था की अवधारणा से हुआ।’’ अमेरिका भूगर्भशास्त्री एम. किंग हबर्ट द्वारा रचित ‘पीक आयल’ का इस्तेमाल ह्रास यानी क्षीणता की समस्या बताने के लिए किया जाता है।
अमेरिकी लोगों का अनुमान है कि दुनिया में तेल का उत्पादन चरम पर पहुंचने के बाद तेजी से घटेगा और सस्ते तेल की उपलब्धता समाप्त हो जाएगी। इसके भयंकर आर्थिक व सामाजिक नतीजे देखने को मिलेंगे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 13, 2013, 19:08