Last Updated: Friday, January 10, 2014, 00:21

नई दिल्ली : हाल ही में फिल्म ‘धूम 3’ ने 500 करोड़ रपये की कमाई कर नया कीर्तिमान रचा है लेकिन जानेमाने अभिनेता कमल हासन का मानना है कि 100 करोड़, 200 करोड़ या 500 करोड़ रुपये की कमाई को हिंदी फिल्मों की सफलता नहीं मान लेना चाहिए और 125 करोड़ आबादी वाले देश में फिल्म दर्शकों की संख्या बढ़नी चाहिए।
हासन ने प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश की जनसंख्या 125 करोड़ है और यहां फिल्म की टिकट की कीमत औसतन 100 रुपये मान लें तो इसका मतलब है कि एक या दो करोड़ लोग ही फिल्म देखते हैं। यह सफलता नहीं है। कम से कम 5-6 करोड़ लोग किसी फिल्म को देखें तब उसे सफल माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संख्या धीरे धीरे बढ़नी चाहिए।
इस मौके पर फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी ने कहा कि अब हिंदी फिल्मों के लिए विदेशी बाजार महत्वपूर्ण हो गया है और करीब 50 प्रतिशत आय विदेशी सिनेमाघरों से होती है। सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ के निर्देशक सिप्पी ने कहा कि इस फिल्म के निर्माण के समय भी विदेशी बाजार अहमियत रखता था लेकिन तब केवल 15 प्रतिशत कमाई ही विदेशी दर्शकों से होती थी। ‘मेकिंग इंडिया द हब ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री’ विषय पर आधारित सत्र में दोनों ही फिल्मी दिग्गजों ने भारत में सिनेमा को और अधिक बढ़ावा देने के लिए अधिक संख्या में प्रशिक्षण संस्थान खोले जाने की वकालत की। सिप्पी ने कहा कि देश में सिनेमाघरों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश में कुल 6,000 सिनेमाघर हैं, जबकि चीन में 16,000 से ज्यादा थियेटर और अमेरिका में 35,000 से अधिक सिनेमाघर हैं। फिल्मों में आइटम सांग और अश्लीलता के संबंध में श्रोताओं के सवाल पर सिप्पी ने कहा कि भारत में जहां पूरी तरह कारोबार को ध्यान में रखकर फिल्में बनाई जाती हैं वहीं हाल ही में आई ‘लंचबॉक्स’, ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘कहानी’ जैसी अनेक फिल्में हैं जो अलग तरह का सिनेमा पेश करती हैं और जिनका उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्मकार का पहला मकसद मनोरंजन और व्यापार करना है। उसकी कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां भी हैं लेकिन दर्शकों की पसंद के आधार पर ही कुछ विषय फिल्मों में होते हैं जो कुछ अन्य को पसंद नहीं आते।
सिप्पी ने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘हिंसा’ को फिल्मों में कम करने की बात होती है लेकिन अगर शोले के वक्त फिल्म में ‘हिंसा’ के दृश्य नहीं होते तो यह अपने तरह की पूर्ण फिल्म नहीं बन पाती जो यह है। कमल हासन ने कहा कि भारत में मनोरंजन की भाषा अंग्रेजी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे पास अंग्रेजी का ज्ञान है जो चीन के पास भी नहीं है। उन्हें लंदन से शिक्षक मंगाने पड़ते हैं। हमें अंग्रेजी की फिल्में बनानी चाहिए। अंग्रेजी का मतलब पूरी तरह अंग्रेजी नहीं। माहौल तमिल, मलयालम कुछ भी हो सकता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 10, 2014, 00:21