Last Updated: Sunday, October 27, 2013, 19:13

नई दिल्ली : प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में `वजन घटाओ` सलाह वाले विज्ञापन सबसे आम विज्ञापन हैं। ये विज्ञापन करिश्माई तरीके से मोटापा कम करने का वादा करते हैं। हालांकि, चिकित्सा-शास्त्र इस तरह के दावों पर संदेह प्रकट करता है।
डॉक्टर कहते हैं कि आजकल मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है और यह अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं को बढ़ाती है।
कैंसर विभाग और बी.एल. कपूर अस्पताल में बैरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक दीप गोयल ने बताया, "प्राकृतिक तरीके से वजन घटाने के कुछ कार्यक्रमों को छोड़ दें तो ज्यादातर वजन घटाने के कार्यक्रम पूरी तरह अप्रभावी हैं।"
जिस देश में मोटापा एक बड़ा मुद्दा बन रहा है और हृदय रोग, गुर्दे की समस्या, उच्च रक्तचाप, मधुमेह यहां तक कि कैंसर को दावत दे रहा है, वहां वजन घटाने के कार्यक्रम लोगों को रिझा रहे हैं।
गोयल ने कहा, "लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकांश विज्ञापन गलत अवधारणाओं को जन्म देते हैं। उदाहरण के लिए लिपोसक्शन वजन कम करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि निखारने की प्रक्रिया है। इसका मतलब आप एक-एक इंच वसा घटाते हैं, मसलन 36 इंच से घटकर 34 इंच पर पहुंचते हैं।"
मैक्स संस्थान के मिनिमल एक्सेस के वरिष्ठ सलाहकार सुमित शाह इससे सहमत हैं। उन्होंने कहा, "जब तक पोषण विशेषज्ञ की देखरेख में वैज्ञानिक तरीके से वर्जिश न किया जाए, तब तक बेहतर परिणाम नहीं मिल सकता।"
शाह ने बताया, "गंभीर मामले में जब बॉडी मास इंडेक्स 40 प्रतिशत से अधिक हो, तभी सर्जरी की जरूरत होती है।"
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कैंसर के चार निरोध्य कारणों में से मोटापा एक है। विश्व में प्रत्येक वर्ष 28 लाख लोगों की मौत बढ़े वजन या मोटापे की वजह से होती है। यह स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर विषय है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 27, 2013, 19:13