बतौर लेखक खुशवंत सिंह की पाठकों के बीच थी अलग पहचान

बतौर लेखक खुशवंत सिंह की पाठकों के बीच थी अलग पहचान

बतौर लेखक खुशवंत सिंह की पाठकों के बीच थी अलग पहचाननई दिल्ली : देश के जाने माने लेखकों एवं पत्रकारों में अपना अलग स्थान बनाने वाले जिंदादिल इंसान के रूप में विख्यात खुशवंत सिंह ने बंटवारे जैसे बेहद गंभीर विषय पर एक पुस्तक ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ लिखकर लोगों को अपनी कलम की जादूगरी से अभिभूत कर दिया था।

खुशवंत सिंह ने पारंपरिक तरीके छोड़कर नए तरीके की पत्रकारित की थी। उनके समकालीन विषयों पर हास्यव्यंग के पुट से भरे स्तम्भों को लोगों ने काफी पसंद किया हालांकि कई बार सेक्स पर आधारित उनके लेख विवादों में भी रहे। राजनीति जैसे विविध विषयों पर लिखकर उन्होंने काफी लोकप्रियता हासिल की।

खुशवंत सिंह का मीडिया से ताल्लुक टोरंटो और कनाडा में भारत सरकार के सूचना अधिकारी के तौर पर शुरू हुआ और वह ब्रिटेन और आयरलैंड में भारतीय उच्चायोग में प्रेस अताशे और अधिकारी थे। इसके बाद उन्होंने योजना आयोग की पत्रिका योजना में अपने कैरियर को आगे बढाया। सिविल कंट्रैक्टर और लुटियन दिल्ली के जाने माने बिल्डर सर शोभा सिंह के पुत्र खुशवंत सिंह सुजान सिंह पार्क स्थित अपने निवास में रहते थे जिसे उनके पिता ने बनाया था। यहीं पर सिंह ने अंतिम सांस ली। पत्रकार के तौर पर खुशवंत सिंह ने ‘इलस्ट्रेटेड वीकली आफ इंडिया’ का संपादन (1979-80) किया जिसका प्रकाशन अब बंद हो चुका है। इसके बाद वह ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ अखबार के भी संपादक (1980-83) रहे। उनका साप्ताहिक स्तम्भ ‘विद मैलिस टुवर्ड्स वन एंड ऑल’ काफी लोकप्रिय हुआ और कई समाचारपत्रों में छपता रहा। वह योजना मैगजिन के संस्थापक संपादक थे।

दिवंगत इंदिरा गांधी की सरकार की ओर से सिंह को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था। वह 1980 से 86 तक सांसद रहे। खुशवंत सिंह को 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1984 में स्वर्ण मंदिर में सेना के प्रवेश के विरोध में उन्होंने यह सम्मान लौटा दिया था। 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से विभूषित किया गया। सिंह ने ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ और ‘आई शैल नाट हियर द नाइटिंगल’ जैसी लोकप्रिय पुस्तकें लिखीं। सिंह का जन्म 1915 में हादली (अब पाकिस्तान) में हुआ था और उन्होंने दिल्ली स्थित मार्डन स्कूल में शिक्षा पाई। बाद में उन्होंने सेंट स्टीफेंस कालेज में पढ़ाई की। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में किंग्स कालेज में भी पढ़ायी की। उन्होंने कई वर्षों तक लाहौर उच्च न्यायालय में वकालत की और 1947 में विदेश मंत्रालय में काम शुरू किया। उनका विवाह कंवल मलिक से 1939 में हुआ था और उनके एक पुत्र राहुल और एक पुत्री माला हैं। मलिक का 2001 में निधन हो गया था।

सिंह के बारे में कहा जाता था कि वह सुबह चार बजे उठ जाते हैं और अपने हाथ से स्तम्भ लिखते हैं। उनकी आत्मकथा ‘ट्रूथ, लव एंड ए लिटिल मैलिस’ का प्रकाशन 2002 में पैंग्विन बुक्स ने किया था। (एजेंसी)

First Published: Thursday, March 20, 2014, 18:05

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