Last Updated: Wednesday, November 27, 2013, 16:03

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जारी जांच पर स्थिति रपट पेश की जाए। वीरभद्र पर आरोप है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए उन्होंने कथित रूप से भ्रष्टाचार किया था। मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एन.वी.रमन और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर शिकायत पर सीबीआई से अगले छह सप्ताह के अंदर स्थिति रपट पेश करने के लिए कहा। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई एक फरवरी, 2014 तक के लिए स्थगित कर दी है।
भूषण ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने सीबीआई से शिकायत की थी लेकिन उसे जांच शुरू करने की कोई चिंता नहीं है। सीबीआई के वकील ने न्यायालय को हालांकि, बताया कि जांच एजेंसी को शिकायत मिली है और वह मामले की पहले से ही जांच कर रही है।
भूषण द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि वीरभद्र द्वारा दायर आयकर रिटर्न और नामांकन पत्र के साथ लगाए गए हलफनामें जैसे कई प्राथमिक दस्तावेज उपलब्ध हैं, जो कांग्रेस नेता को संदिग्ध लेनदेन और भारी निवेश से जोड़ते हैं। ये लेनदेन और निवेश तब किए गए थे, जब वह केंद्र सरकार में मंत्री थे।
उन्होंने कहा कि उनके औपचारिक अनुरोध के बावजूद न तो सरकार न ही सीबीआई जांच शुरू करने को लेकर चिंतित दिखी। उन्होंने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सीबीआई से 11 जनवरी को विस्तृत शिकायत की थी।
याचिका के मुताबिक कि वीरभद्र पैसों के हेरफेर, भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति रखने और आपराधिक गतिविधियों जैसे कई मामलों में शामिल रहे हैं जिसमें स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की जरूरत है। लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा प्रमाण प्रस्तुत कर की गई शिकायत के बावजूद कार्रवाई शुरू नहीं की गई। याचिका के मुताबिक कि निजी लाभ के लिए पद के दुरुपयोग का गंभीर मामला होने के बावजूद निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के आदेश नहीं देने से देश में भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 27, 2013, 16:03