देवयानी गिरफ्तारी मामला: दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा घेरा हटाया

देवयानी गिरफ्तारी मामला: दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा घेरा हटाया

देवयानी गिरफ्तारी मामला: दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा घेरा हटायाज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अमेरिकी दूतावास के सामने की गई सुरक्षा घेराबंदी हटाते हुए दूतावास के भीतर और बाहर यातायात को सामान्य कर दिया। न्यूयार्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागडे की गिरफ्तारी और उनके साथ किए गए व्यवहार के बाद भारत ने अमेरिका से बिना शर्त माफी मांगने के लिए कहा है। ठीक उसी दिन दिल्ली पुलिस ने दूतावास के आसपास की घेराबंदी को हटा दिया है।

न्यूयार्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागाडे को गिरफ्तार करने के बाद उनकी गहन तलाशी ली गई थी। इस घटना की खबर मीडिया में आने के बाद भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तकरार बढ़ गई है। इस मसले पर भारत का रुख काफी सख्‍त होने के बाद दोनों देशों के बीच ठन गई है।

जानकारी के अनुसार, राजनयिक के अपमान का जवाब के तहत दिल्‍ली पुलिस ने अमेरिकी दूतावास से पुलिस बंदोबस्‍त हटा लिए हैं और सुरक्षा वापस ले ली गई है। दूतावास के बाहर से ट्रैफिक बैरिकेट्स भी हटा लिए गए हैं। बैरिकेट्स हटाने के लिए बुलडोजर का इस्‍तेमाल किया गया। अमेरिकी के खिलाफ भारत की यह अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई है।

चाणक्यपुरी के कूटनीतिक इलाके में अमेरिकी दूतावास के बाहर दो वर्ष पहले आतंकवादी हमलों की आशंका जताए जाने के बाद सुरक्षा के लिहाज से घेराबंदी की गई थी। दूतावास के सामने और कार्यालय के पीछे स्थित वीजा कार्यालय से खास तौर से वाहनों की सामान्य आवाजाही रोक दी गई थी। सड़क पर खड़ी की गई कंक्रीट की रुकावटों को हटाने के काम में दो क्रेन की मदद ली गई। रोक हटाने के दौरान दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद थे। करीब आधे घंटे तक रोक हटाने का काम जारी रहा। रोक हटाने के बारे में पुलिस ने अपनी ओर से कोई कारण नहीं बताया है।

इसके अलावा, अमेरिकी राजनयिकों के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिए गए हैं। भारत ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि भारतीयों राजनयिकों के साथ अपमान की घटना को अब देश सहन नहीं करेगा। दशकों से लगे बैरिकेड्स दूतावास के इर्द-गिर्द आम जनता की आवाजाही रोकते थे और दूतावास के सामने से और दूतावास के पीछे स्थित वीजा कार्यालय के सामने से गुजरने वाले स्लिप रोड पर सामान्य वाहनों का आवागमन खासतौर से प्रतिबंधित था।

भारत सरकार अमेरिकी वाणिज्यदूतावासों में कार्यरत भारतीय कर्मचारियों को भुगतान किए जाने वाले वेतन के विवरण भी मंगा रही है। इसमें अमेरिकी अधिकारियों के परिवारों में कार्यरत घरेलू नौकर भी शामिल हैं। सरकार को संदेह कि अमेरिकी दूतावासों में भारतीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जाता है।

गौर हो कि न्यूयार्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागाडे को गिरफ्तार करने के बाद उनकी गहन तलाशी ली गई थी। इस घटना के बाद भारत और अमेरिका के बीच तकरार बढ़ गई है। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि उसने सिर्फ स्थापित मानकों के तहत कार्रवाई की है।

भारत की वाणिज्य उप महादूत के साथ न्यूयार्क में हुए बर्ताव का कड़ा विरोध करते हुए भारत ने आज यहां स्थित सभी अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवारों को मिली सभी विशेष छूटों को वापस ले लिया और भारत में तैनात अमेरिकी राजनयिक अधिकारियों को दिए गए सभी पहचान पत्र लौटाने को कहा। कूटनीतिक विवाद में इजाफे के बीच भारत ने अमेरिका से कहा कि वह देश में तैनात अपने सभी राजनयिक अधिकारियों और उनके परिवारों के पहचान पत्र लौटा दे। इसके अलावा उसने दूतावास में कार्यरत सभी भारतीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन संबंधी समूची जानकारी की भी मांग की है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार ने अमेरिका से कहा है कि वह देश में तैनात अपने सभी राजनयिक अधिकारियों और उनके परिवारों के पहचान पत्र लौटा दे। अब से उन्हें वहीं लाभ और सुविधाएं मिलेंगी जो अमेरिका स्थित हमारे वाणिज्य दूतावासों में हमारे कर्मचारियों को अमेरिका की ओर से मुहैया कराई जाती हैं।

भारत की तरफ से इस खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसके लिए न्याय विभाग और स्थानीय पुलिस की जवाबदेही की बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मेरी हर्फ से जब सोमवार को पूछा गया कि भारतीय राजनयिक के साथ वैसी शालीनता क्यों नहीं बरती गई, जो अमेरिका अपने राजनयिकों के साथ चाहता है तो उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के कूटनीतिक सुरक्षा विभाग ने गिरफ्तारी के दौरान स्थापित मानकों के अनुसार कार्रवाई की है। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें अमेरिका के मार्शल के सुपर्द कर दिया गया। उनके साथ किए गए व्यवहार पर अमेरिकी मार्शल से सवाल करना चाहिए न कि हमसे।

मीडिया खबरों के मुताबिक, खोब्रागाडे को वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी व आया का शोषण करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था, उन्हें न सिर्फ हथकड़ी लगाई गई थी बल्कि हिरासत में गहन तलाशी ली गई थी और आम अपराधियों, मादक पदार्थो का सेवन करने वालों और यौन कर्मियों के साथ रखा गया था। खोब्रागाडे को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने गई थीं। उन्हें हालांकि, 2,50,000 डॉलर की जमानत राशि पर छोड़ दिया गया था। उन्हें जनवरी महीने में अदालत में पेश होना है।

भारतीय लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने नाराजगी जताते हुए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने से इंकार कर दिया है। इस पर हर्फ इस मामले में अपना पल्ला झाड़ते नजर आईं। हर्फ ने कहा कि मुझे लगता है कि इस पर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल बयान देगा। मैं कार्रवाई देख कर खुश हूं। मैं इसके बारे में विस्तार से नहीं जानती। उन्होंने कूटनीतिक अधिकार और वाणिज्यदूत के अधिकार के बीच अंतर भी जाहिर किया। उन्होंने कहा कि वियना संधिपत्र के मुताबिक वाणिज्यदूत के संबंध में भारत के उप महावाणिज्यदूत को अमेरिकी अदालत की तरफ से सिर्फ वाणिज्यदूत के कार्य से संबंधित अधिकार प्राप्त है। यह न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरे विश्व में है। अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल से भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह ने मामले पर जवाब मांगा है, और इस पर अमेरिकी प्रतिक्रिया के संबंध में हर्फ ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। हर्फ ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद अमेरिका के उप विदेश मंत्री, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास से बात की है।

First Published: Tuesday, December 17, 2013, 17:57

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