Last Updated: Saturday, February 1, 2014, 00:05
नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने माना है कि राजनीतिक दलों को ऐसे वादे करने से परहेज करना चाहिए जिससे चुनाव प्रक्रिया दूषित होती हो। साथ ही उन्हें अपने घोषणा पत्र में वादों के पीछे तर्क और उनके वित्त पोषण के तरीके बताने होंगे। चुनाव आयोग ने घोषणा पत्र के बारे में जारी मसौदा दिशानिर्देशों में यह बात कही है।
आयोग ने यह मसौदा उच्चतम न्यायालय द्वारा उसे दिये गये निर्देश के मद्देनजर जारी किया। इसके तहत पार्टियों और चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को केवल ऐसे कल्याणकारी वादों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की अनुमति दी जायेगी जिन्हें संविधान के राज्य नीति के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किया गया है। आयोग ने इस मसौदे में यह भी कहा कि घोषणापत्र आदर्श आचार संहिता के अन्य प्रावधानों के पूरी तरह से अनुरूप होना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि पारदर्शिता के हित में, समान अवसर देने के लिए और वादों की विश्वसनीयता के मकसद से आयोग यह आशा करता है कि घोषणा पत्र में वादों के पीछे के तर्क प्रतिबिंबित होंगे तथा इन्हें पूरा करने के लिए वित्त्त पोषण के तरीके भी बताए जाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 1, 2014, 00:05