Last Updated: Sunday, January 12, 2014, 19:34
नई दिल्ली : राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट जगत से मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया को ‘चुनावी न्यास’ के ढांचे से अधिक पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि इसके अलावा इससे चुनाव में इस्तेमाल होने वाले धन के स्रोत की वैधता भी स्थापित करने में मदद मिलेगी। पायलट ने इसे सही दिशा में सही कदम करार देते हुए कहा कि इस नए ढांचे से से राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में इस्तेमाल किए जाने वाले धन के स्रोत के मुद्दे का एक हद तक जवाब देने में मदद मिलेगी।
पायलट ने कहा, ‘इससे अधिक पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी और इससे दलों व कंपनियों को अधिक पारदर्शी होने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे राजनीतिक चंदे के स्रोत के बारे में अधिक जानकारी उलब्ध होगी और उसकी वैधता स्थापित करने में मदद मिलेगी।’ गौरतलब है कि ‘चुनावी न्यास’ के नियमों के तहत राजनीतिक दलों को चंदा देने की इच्छुक कंपनियां और इकाइयों को गैर लाभकारी कंपनियों के रप में न्याय का गठन करना होगा। ऐसी हर कंपनी के नाम में चुनावी न्यास या इलेक्टोरल ट्रस्ट शब्द युग्म जुड़ा होगा। इन इकाइयों के जरिये राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा देने पर कुछ कर छूट भी मिलेगी। ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कम से कम छह प्रमुख कॉरपोरेट समूहों ने पहले ही इस तरह के चुनावी न्यास की स्थापना कर ली है।
इसके अलावा दो दर्जन से अधिक कंपनी समूह चूनावी न्यास बनाने की योजना बना रहे हैं। न्यास महिंद्रा समूह, अनिल अंबानी का रिलायंस समूह, अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह, सुनील मित्तल का भारती समूह व कोलकाता का केके बिड़ला समूह ने कुल मिलाकर अभी तक छह चुनावी न्यास गठित किए हैं। अभी तक इस तरह की इकाइयों का गठन कंपनी कानून, 1956 की धारा 25 या कर विभाग की चुनावी न्यास योजना, 2013 के तहत होता था। अब इस तरह का पंजीकरण नए कंपनी कानून, 2013 की धारा 8 के तहत होगा।
राजनीतिक दलों के चंदे को पारदर्शी बनाने की मांग उठती रही है। कर लाभ लेने के लिए चुनावी न्यासों को वित्त वर्ष के दौरान जुटाए गए धन का 95 फीसद पंजीकृत राजनीतिक दलों को उसी साल के दौरान देना होगा। इसके अलावा वे नकद में कोई योगदान नहीं ले सकेंगे और उन्हें ट्रस्ट या न्यास में अंशदान करने वाले सभी निवासी भारतीयों का स्थायी खाता संख्या (पैन) देना होगा। वहीं प्रवासी भारतीयों से योगदान लेने के लिए उनका पासपोर्ट नंबर देना होगा। इन कंपनियों को विदेशी इकाइयों से योगदान लेने की अनुमति नहीं होगी।
कंपनियां चुनावी न्यास का गठन किए बिना राजनीतिक दलों को सीधे भी धन दे सकती हैं, लेकिन इसमें धन पाने वाले व्यक्तियों के बारे में अधिक ब्यौरा देना होगा। नए कंपनी कानून, 2013 के तहत कंपनियों को विभिन्न राजनीतिक दलांे को दिए गए चंदे का उल्लेख अपने लाभ एवं हानि खाते में करना होगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 12, 2014, 19:34