Last Updated: Friday, December 6, 2013, 18:31

नई दिल्ली : दलगत रानजनीति से उपर उठते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों ने केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला के उस विवादास्पद बयान की घोर निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा है कि महिला निजी सचिवों को रखना जोखिम का काम हो गया है, क्योंकि किसी ने अगर यौन शोषण की शिकायत कर दी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
कांग्रेस नेता और महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने संसद भवन परिसर में फारूक की टिप्पणी पर संवाददाताओं से कहा कि हमारे संविधान में दोनों लिंगों के लोगों को बराबर के अधिकार हैं, लेकिन अभी तक महिलाएं भय का जीवन जी रही हैं। अगर किसी को ऐसा लगता है (जो फारूक ने कहा) तो मानसिकता बदले जाने की जरूरत है।
भाजपा की नेता स्मृती ईरानी ने फारूक की बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि एक वरिष्ठ मंत्री की ओर से ऐसा बयान आना सर्वथा ‘अनुचित’ है। उन्होंने कहा कि मंत्री के बयान से ऐसा लगता है मानों महिलाओं को कार्य पर रखना उन पर कोई कृपा करना है और उनका अपमान किया जा सकता है। स्मृति ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहिए कि ‘अगर कोई महिला कार्यस्थल पर अपने अधिकारों के लिए बोलती है तो उसे खतरे की बात माना जाए।’
माकपा नेता बृंदा कारत ने कहा कि एक मंत्री की तरफ से ऐसे समय इतना गैर-जिम्मेदाराना बयान आया है जब देश इस तथ्य से स्तब्ध है कि उच्च पदों पर बैठे लोग अवांछित यौन शोषण का प्रयास करते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 6, 2013, 18:31