Last Updated: Tuesday, May 20, 2014, 12:52
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : गंगा, हमारे लिए सिर्फ एक नदी नहीं है, गंगा हमारी सभ्यता है, हमारी संस्कृति है और गंगा के साथ हमारे संस्कार जुड़े हैं और यहां तक की गंगा से हमारा स्वाभिमान भी जुड़ा है। देश में गंगा मां की तरह पूजी जाती है और गंगाजल को अमृत समझा जाता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक गंगाजल हर भारतीय के साथ जुड़ा है।
हमारी संस्कृति में गंगाजल के बिना जन्म से लेकर मोक्ष तक सब अधूरा है इसलिए हर घर में गंगाजल को धरोहर की तरह रखा जाता है। लेकिन हमारी अपनी ही लापरवाही की वजह से यही शुद्ध, स्वच्छ, निर्मल गंगाजल अब जहरीला बनता जा रहा है। औद्योगिक प्रदूषण और शहरों की गंदगी ने गंगाजल के अस्तिस्व को खतरे में डाल दिया है।
1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा की सफाई के लिए `गंगा एक्शन प्लान` बनाया था। 29 साल में करीब 40 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च करने के बावजूद गंगा की स्थिति सुधरी नहीं। वैज्ञानिकों की राय में अगर यही हाल रहा तो अगले 30 साल में गंगा और गंगा जल का अस्तित्व भी मिट सकता है। गंगा के खत्म होने का मतलब है, हमारी संस्कृति का खत्म होना, हमारे संस्कारों का खत्म होना, क्या आप ऐसा होने देंगे?
गंगा को बचाने के लिए, देश के सबसे बड़े नेटवर्क Zee Media ने सबसे बड़ी मुहिम शुरू की है। जिसका नाम है- `गंगाजल...MY PRIDE`। हम गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा की एक-एक बूंद बचाने के आंदोलन छेड़ रहे हैं। अगर आप भी हमारी इस मुहिम में साथ हैं तो हमें 09540285000 पर मिस्ड कॉल करें या अपनी राय देने लिए gangajal@zeenetwork.com पर मेल करें और गंगा के साथ अपनी तस्वीरें भी शेयर कीजिए।
First Published: Tuesday, May 20, 2014, 12:52