समलिंगी सेक्स: सरकार ने विधायी रास्ते के दिए संकेत

समलिंगी सेक्स: सरकार ने विधायी रास्ते के दिए संकेत

नई दिल्ली : समलिंगी सेक्स को उच्चतम न्‍यायालय द्वारा अवैध करार दिए जाने के बीच सरकार ने बुधवार को संकेत दिया कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए विधायी रास्ता अपनाएगी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अब समलिंगी सेक्स को लेकर गेंद संसद के पाले में आ गई है और वही तय करेगी कि भारतीय दंड संहिता से कौन सी धाराएं हटाने की आवश्यकता है।

कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान के तहत किसी कानून की संवैधानिकता परखना उच्चतम न्यायालय का विशेषाधिकार है। शीर्ष अदालत उसी विशेषाधिकार का उपयोग कर रही है। कानून बनाना हमारा विशेषाधिकार है और हम उस विशेषाधिकार का इस्तेमाल करेंगे। उनसे शीर्ष अदालत के उस फैसले पर सवाल किया गया था, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने बालिग समलिंगियों के बीच सहमति से सेक्स को अपराधमुक्त कर दिया था। इस सवाल पर कि सरकार कितनी जल्दी संसद में यह मुद्दा लाएगी, सिब्ब्ल ने कहा कि यदि संसद चले तो हम इसे ले आएंगे।

जब पूछा गया कि लाल बत्ती के इस्तेमाल को लेकर फैसला करने वाली यही शीर्ष अदालत समलिंगी सेक्स के मुद्दे पर गेंद संसद के पाले में डालकर चुनिन्दा न्यायिक एक्टिविज्म नहीं कर रही, तो सिब्बल बोले कि उच्चतम न्यायालय कानून की वैधता पर अंतिम फैसला देती है और उसकी राय का सरकार को सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कानून के मामले में अंतिम फैसला विधायिका का होता है। इसके आगे मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। किसी एक मामले या अन्य मामले में कोई न्यायाधीश क्या राय देता है, मैं उस बारे में टिप्पणी नहीं करूंगा। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 11, 2013, 19:54

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