जनरल वीके सिंह ने आयु विवाद में PMO को घसीटा

जनरल वीके सिंह ने आयु विवाद में PMO को घसीटा

जनरल वीके सिंह ने आयु विवाद में PMO को घसीटानई दिल्ली : अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में सरकार के साथ उच्चतम न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वी. के. सिंह ने अपनी आयु को लेकर उठे विवाद और टाट्रा ट्रक घोटाला मामलों में प्रधानमंत्री कार्यालय को घसीटते हुए आरोप लगाया है कि वहां के एक वरिष्ठ अफसर ने मुद्दों का ताना-बाना बुना।

उन्होंने हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘करेज एंड कन्विक्शन’ में दावा किया है कि आयु विवाद मामले की दूसरी सुनवाई के बाद संभवत: मीडिया उन्हें उनके पद से हटता देखना चाहता था।

सिंह ने कहा, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मिलने के बाद उन्होंने सेना प्रमुख बने रहने का फैसला किया। उन्होंने उन्हें निशाना बनाने वाले लोगों का नाम लिए बिना कहा कि राष्ट्रपति ने उनसे कहा था, ‘‘आप अपना कार्य करते रहें।’’

टाट्रा ट्रक सौदे से जुड़े विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अफसर का नाम ‘‘बार-बार उठ रहा था’’ और उसके रिश्तेदारों को भारत में टाट्रा ट्रक को एसेम्बल करने वाली बीईएमएल कंपनी के परिसर में प्लाट दिए गए।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बात में कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री कार्यालय में एक बहुत वरिष्ठ अफसर ने आयु से जुड़े पूरे मुद्दे को उलझाया। मैंने जब टाट्रा फाइलों को रोक दिया तभी से (इस) व्यक्ति का नाम बार-बार उठता रहा।’’

जनरल सिंह ने कहा, वह (अफसर) न केवल सीधे उन पीएसयू से जुड़ा था जहां उसके रिश्तेदारों को बीईएमएल परिसर में प्लाट दिए जाने के प्रत्यक्ष साक्ष्य हैं बल्कि लगता है कि सरकार के हर कदम की शुरुआत उसी से हो रही थी। उन्होंने दावा किया कि यह वरिष्ठ नौकरशाह यह इशारे भी कर रहा था कि उनकी आयु से जुड़े मुद्दे को पूर्व सेना प्रमुखों में से एक ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती की पत्नी के कहने पर उठाया।

पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें टाट्रा ट्रक खरीद के जानकारों ने ‘अधिक सवाल नहीं पूछने’ की सलाह दी। ‘इसका सिरा पीएमओ के एक बहुत ही उच्च अफसर तक जाता है।’ पुस्तक में लिखा गया है कि ऐसी सुगबुगाहट थीं कि पीएमओ के एक वरिष्ठ अफसर के रिश्तेदारों को बीईएमएल हाउसिंग सोसायटी में भूखंड दिए गए हैं और योजना आयोग के एक शीर्ष अधिकारी का बेटा बीईएमएल के गेस्ट रूम में एक साल से अधिक समय से रह रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि बीईएमएल सहित सार्वजनिक उपक्रम जिस तरह के काम कर रहे थे, उसका कोई तुक नहीं है। उनके अनुसार, सरकार इन सार्वजनिक उपक्रमों से चाहती थी कि वे मुनाफा दिखाएं जो सामान्य कारोबारी व्यवहार अपनाने में असंभव था। इसलिए वर्षों से उन्होंने फर्जी मूल्य निर्धारण का तरीका ईजाद किया। कोई भी सही सोच वाला व्यक्ति उन मूल्यों को स्वीकार नहीं कर सकता था, अत: नौकरशाहों के जरिए सशस्त्र बल उनके शिकार बने। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 8, 2013, 19:57

comments powered by Disqus