Last Updated: Friday, November 1, 2013, 22:34
नई दिल्ली : नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (एनएफआईडब्ल्यू) ने 27 सितंबर को पारित संयुक्त राष्ट्र वैश्विक प्रस्ताव पर भारत सरकार के हस्ताक्षर करने से इंकार करने पर आज चिंता जताई। इस प्रस्ताव में बच्चों की बचपन में और जबरन शादी पर प्रतिबंध लगाने की बात की गई है।
उसने केंद्र सरकार से मांग की कि वह अपने रूख के कारणों को स्पष्ट करे और महिलाओं और बच्चों के जीवन के साथ वोट बैंक की राजनीति नहीं खेले। एनएफआईडब्ल्यू महासचिव एनी राजा ने कहा, ‘कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से दूर रहना बाल विवाह की अवैध प्रथा को और प्रोत्साहित करेगा।
केरल की कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार की ओर से जारी परिपत्र में स्थानीय निकाय से बाल विवाह का पंजीकरण करने का निर्देश देने का लक्ष्य कुछ धार्मिक चरमपंथी ताकतों का तुष्टिकरण करना है जो बेहद निंदनीय है।’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले किशोर लड़कियों के रक्त अल्पता के शिकार होने पर चिंता जताते हुए इसे राष्ट्रीय शर्म बताया था।
राजा ने आरोप लगाया कि इस तरह के महत्वपूर्ण दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करने से भारत सरकार ने न सिर्फ देश के कानून को पलटा है बल्कि कुछ धार्मिक चरमपंथी समूहों के राजनैतिक दबाव के आगे झुक गई है। ये धार्मिक चरमपंथी समूह खाप और बिरादरी पंचायतों के संरक्षक हैं। यह दस्तावेज बाल विवाह पर रोक लगाने का पहला वैश्विक प्रयास था।
राजा ने आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के प्रति सरकार का रूख उसकी राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव और महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रति उसकी सामाजिक वचनबद्धता के अभाव को दर्शाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह हमारे देश में महिलाओं को और हाशिए पर ले जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 1, 2013, 22:34