Last Updated: Thursday, December 19, 2013, 23:25

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके गांगुली के खिलाफ आरोपों की जांच और उन्हें पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष पद से हटाने हेतु अपनी सिफारिश देने के लिए उच्चतम न्यायालय को भेजे जाने वाले राष्ट्रपति मसौदे पर कानून मंत्रालय की राय मांगी है।
यह कदम तब आया जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इस संबंध में लिखा गया पत्र गृह मंत्रालय को भेज दिया। पत्र में ममता बनर्जी ने गांगुली को राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है। पूर्व न्यायाधीश पद से इस्तीफा देने से इनकार कर चुके हैं। गांगुली पर एक विधि इंटर्न ने यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यहां एक समारोह से इतर कहा कि दस्तावेज हमारे पास आ गए हैं। अभी तक मैं यह कह सकता हूं कि हमने इसे कानून विभाग को भेज दिया है और उनकी राय जानने के बाद हम आगे बढ़ेंगे। ममता ने इंटर्न द्वारा पूर्व न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के मद्देनजर गांगुली को पद से हटाए जाने और उनके खिलाफ राष्ट्रपति द्वारा ‘तत्काल उचित कार्रवाई’ किए जाने की मांग की है।
उधर, गांगुली ने गुरुवार को कहा कि मीडिया अपराधी की भांति उनकी पीछा कर रहा है जबकि उनपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली लड़की के हलफनामे की प्रति उन्हें नहीं दी गई। न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि मीडिया अपराधी की भांति मेरा पीछा कर रहा है। उन्होंने एक चैनल से कहा कि मुझे हलफनामे की प्रति क्यों नहीं दी गयी? जब मैं उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति के सामने पेश हुआ तब मुझसे कहा गया था कि यह गोपनीय था। उन्होंने कहा कि सामान्यत: होता यह है कि प्रतिवादी को याचिका की प्रति दी जाती है क्योंकि उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी होती है। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उनके साथ ऐसा होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने यह लोगों पर छोड़ दिया है कि वे इस मामले पर अपनी राय बनाएं।
First Published: Thursday, December 19, 2013, 23:25