मुझे इंटर्न का हलफनामा नहीं दिया गया: गांगुली

मुझे इंटर्न का हलफनामा नहीं दिया गया: गांगुली

कोलकाता : पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से न्यायमूर्ति एके गांगुली को हटाने के लिए जहां सरकार राष्ट्रपति की राय लेने के विकल्प के बारे में सोच रही है वहीं न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा है कि विधि इंटर्न के हलफनामे की प्रति उन्हें नहीं दी गई, जिसने उनके खिलाफ यौन हमले के आरोप लगाए थे।

डब्ल्यूबीएचआरसी के अध्यक्ष पद को छोड़ने की मांग का सामना कर रहे गांगुली ने कहा कि सामान्य कानून के मुताबिक जिस व्यक्ति की प्रतिष्ठा और छवि दांव पर लगी हो उसे हलफनामे की प्रति अवश्य दी जाती है जिसमें उसके खिलाफ आरोप लगे होते हैं।

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि जब वह 27 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की समिति के समक्ष उपस्थित हुए तो उन्होंने विधि इंटर्न के हलफनामे की एक प्रति मांगी लेकिन गोपनीयता के आधार पर इससे इंकार कर दिया गया। गांगुली ने टीवी चैनलों से कहा कि मैंने प्रति (हलफनामे) की मांग की। मुझे गोपनीयता के आधार पर इंकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सामान्य कानून के मुताबिक जिस व्यक्ति की प्रतिष्ठा और छवि दांव पर हो उसे आरोपों की एक प्रति दी जानी चाहिए जिस आधार पर वह जवाब दे सके। गांगुली ने कहा कि जब वह समिति के समक्ष उपस्थित हुए तो उन्हें हलफनामे पर गौर करने और ‘तुरंत जवाब देने’ को कहा गया।

उन्होंने कहा कि मुझे हलफनामा नहीं दिया गया। जब मैंने मांग की तो इंकार कर दिया गया। समिति ने गांगुली को विधि इंटर्न के साथ ‘अभद्र व्यवहार’ का दोषी पाया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, December 19, 2013, 23:27

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