भारत-चीन ने की सामरिक वार्ता, संबंधों की रफ्तार को सराहा

भारत-चीन ने की सामरिक वार्ता, संबंधों की रफ्तार को सराहा

बीजिंग : भारत ने सोमवार को चीन को आपसी विश्वास तथा एक दूसरे की चिंताओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशीलता पर आधारित ठोस सामरिक द्विपक्षीय संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। भारत में आम चुनावों के बीच दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों ने यहां वार्षिक सामरिक वार्ता में हिस्सा लिया।

विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अपने चीनी समकक्ष उप विदेश मंत्री लियू झेनमिन के साथ सामरिक वार्ता के छठे दौर की सह अध्यक्षता की। दोनों पक्षों के बीच वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब भारत में आम चुनाव हो रहे हैं जिसमें एक नयी सरकार के बनने की संभावना जतायी गयी है।

सुजाता ने अपने उदबोधन मे कहा, ‘‘मेरी आज यहां की यात्रा चीन की सरकार को यह दोहराने के लिए है कि भारत सरकार चीन के साथ भारत के रिश्तों को प्राथमिकता पर रखता है।’’ सुजाता ने कहा, ‘‘हम शांति और समृद्धता के लिए हमारे सामरिक और सहयोगात्मक साझेदारी को ठोस करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे दृष्टिकोण की मुख्य बात आपसी विश्वास और समझ पर आधारित अच्छे पड़ोसी रिश्ते और एक दूसरे की चिंताओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशीलता है।’’

सुजाता ने कहा, ‘‘जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) कई मौकों पर स्पष्ट कर चुके हैं, विश्व में भारत और चीन के लिए हमारी आर्थिक एवं सामाजिक विकास की प्रक्रियाओं के अंतर्गत अपने विकास की महत्वाकांक्षाएं पूरी करने का पर्याप्त स्थान है और द्विपक्षीय सहयोग की बहुत जगह है।’’ चीन ने कहा उसे ‘विश्वास’ है कि भारत में चुनाव में किसी भी पार्टी की सरकार आए, भारत मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

लिउ ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि भारत में चाहे जो भी पार्टी सत्ता में आए, वह दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक रिश्तों के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।’’ पिछले साल नयी दिल्ली में सामरिक वार्ता में भाग लेने वाले लिउ ने कहा कि इस वार्ता में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के सभी मुददों को केन्द्र में रखा जाएगा।

सुजाता आज रात विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात करेंगी। सामरिक वार्ता में दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न मुद्दे उठाए जाने की संभावना है जिनमें अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों की वापसी की पृष्ठभूमि में अफगानिस्तान में स्थिरता संबंधी चिंताएं और चीन के साथ भारत का 35 अरब डालर से अधिक के व्यापार घाटे का मसला प्रमुख है।

भारत की तरह ही चीन भी तालिबान और अल कायदा की वापसी को लेकर चिंतित है जो उसके मुस्लिम उग्यूर आबादी वाले प्रांत शिनजियांग पर असर डाल सकता है। यह प्रांत आतंकवादी हमलों का सामना कर रहा है। भारत द्वारा बैठक में 35 अरब डॉलर के वार्षिक व्यापार घाटे का मुद्दा एक बार फिर से उठाए जाने की संभावना है। इसके अलावा भारत चीनी बाजार को आईटी और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए खोले जाने और चीन के भारत में निवेश संबंधी मुद्दों पर भी बात करना चाहेगा।

सुजाता द्वारा अपने चीनी वार्ताकारों के साथ चीन में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले ‘‘ग्लिमप्सेस आफ इंडिया’’ उत्सव की योजनाओं को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। यह उत्सव चीन में साल भर चलेगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 14, 2014, 19:47

comments powered by Disqus