Last Updated: Saturday, February 8, 2014, 22:43

मुम्बई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत के एक भी उच्च शिक्षण संस्थान के विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं होने पर दुख जताते हुए आज सुझाव दिया कि भारत में ‘प्रतिभाशाली छात्रों और शिक्षकों को अपनी व्यवस्था में रोकने की क्षमता’ होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने यहां किशनचंद चेलाराम कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन, हरगोविंद खुराना, चंद्रशेखर और वेंकटरमण जैसे विद्वानों को उल्लेख करते हुए कहा, ‘प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। परंतु दुर्भाग्य से उन्हें नोबेल सम्मान तब मिला जब वे भारत से बाहर अमेरिका, ब्रिटेन या किसी अन्य जगह के विश्वविद्यालयों में काम कर रहे थे। हममें यह क्षमता होनी चाहिए कि हम प्रतिभाशाली छात्रों, प्रतिभाशाली शिक्षकों को अपनी व्यवस्था में बनाये रखें।’ राष्ट्रपति ने इसके साथ ही कई देश के उच्च शैक्षिक संस्थानों में खराब मानकों पर भी चिंता जतायी और कहा कि इसके लिए आधारभूत ढांच को प्रसारित करने के लिए एक ठोस प्रयास जारी है।
राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन, मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, अमिताभ बच्चन और उद्योगपति अनिल अंबानी जैसी हस्तियों की मौजूदगी में कहा, ‘भारत में 650 विश्वविद्यालय और 33000 कॉलेज हैं। 11वीं योजना अवधि के दौरान प्रति हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शैक्षिक संस्थानों संस्थानों की संख्या 10 से बढ़कर 14 हो गई है।’ उन्होंने कहा कि भारत का उच्च शिक्षा प्रणाली विश्व में दूसरा होने के बावजूद भारत में 18.24 आयु वर्ग के बीच पंजीकरण दर मात्र सात प्रतिशत है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘इसकी तुलना में जर्मनी में यह 21 प्रतिशत और अमेरिका में 34 प्रतिशत है।’ उन्होंने कहा कि इसके लिए हमारे कई उच्च शिक्षण संस्थानों में मानक की कमी है जो कि वैश्विक मानक से नीचे है। मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि देश को उच्च शिक्षा के लिए सबसे पसंदीदा स्थल का अपना ‘खोया गौरव’ वापस प्राप्त करने का दावा करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि समय आ चुका है कि यदि हम देशों में अपना सही स्थान प्राप्त करना चाहते हैं, यदि हम विश्व में पहली श्रेणी की शक्ति बनना चाहते हैं तो हमारे पास प्रथम श्रेणी की सुविधाएं, प्रथम श्रेणी के शिक्षण संस्थानों, प्रथम श्रेणी के कालेज होने चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘हमें वह आधार दोबारा हासिल करना होगा जिसे हमने सात सदी पहले गंवा दिया था। भारत का उच्च शिक्षा पर एक या दो वर्षों के लिए नहीं बल्कि 1500 वर्षों तक प्रभुत्व था।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 8, 2014, 22:43