Last Updated: Tuesday, November 12, 2013, 12:09

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह थाने में आने वाले हर संज्ञान लेने वाले अपराध की प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा कि यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी भी संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने में असफल पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश ने पीठ की तरफ से कहा कि कानून की मंशा संज्ञेय अपराधों की प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य करने की है। संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में ऐसे अपराध आते हैं, जिनके लिए अपराधी को तीन साल या उससे अधिक की सजा दी जा सकती है और जांचकर्ता अधिकारी आरोपी को बिना वारंट भी गिरफ्तार कर सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम मानते हैं कि एफआईआर दर्ज किया जाना अनिवार्य है और संज्ञेय अपराधों में किसी प्राथमिक जांच की अनुमति नहीं है । न्यायाधीश बी एस चौहान, न्यायाधीश रंजन पी देसाई, न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एस ए बोब्दे की पीठ ने कहा कि संज्ञेय अपराधों के मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से नहीं बच सकते और यदि एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो उनके खिलाफ अवश्य कार्रवाई होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अन्य मामलों में यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच की जा सकती है कि वह संज्ञेय अपराध है या नहीं और इस प्रकार की जांच सात दिन के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि कानून में कोई अस्पष्टता नहीं है और कानून की मंशा संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण की है । संवैधानिक पीठ ने तीन जजों की पीठ द्वारा मामले को वृहतर पीठ के पास भेजे जाने के बाद यह फैसला दिया गया । तीन जजों की पीठ ने इस आधार पर मामले को वृहतर पीठ के पास भेजा था कि इस मुद्दे पर विरोधाभासी फैसले हैं । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 12, 2013, 11:44