Last Updated: Wednesday, November 13, 2013, 18:12

नई दिल्ली : भारतीय थलसेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत) वी के सिंह ने आज जोर देकर कहा कि भारत में तख्तापलट नहीं हो सकता। गौरतलब है कि पिछले साल जब उम्र के मुद्दे पर सरकार से सिंह का विवाद चल रहा था तो उन पर सैन्य तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगा था। थलसेना की दो इकाइयों -एक हरियाणा के हिसार की और दूसरी उत्तर प्रदेश के आगरा की- के पिछले साल जनवरी में दिल्ली कूच करने का आरोप लगने के बाद पहली बार सिंह ने ऐसा बयान दिया है। थलसेना की इकाइयों को दिल्ली की तरफ लाने की सिंह की कोशिश को तख्तापलट की कोशिश के तौर पर देखा गया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में तख्तापलट हो सकता है, इस पर सिंह ने कहा, नहीं। बिल्कुल नहीं। बड़े-बड़े अक्षरों में बता रहा हूं कि बिल्कुल नह, इस तरह की चीज नहीं हो सकती। तख्तापलट की कोशिश के आरोप पर तत्कालीन थलसेना प्रमुख ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि सेना की दो इकाइयां सरकार गिरा सकती हैं ।
ऐसी खबरों को भद्दा मजाक करार देते हुए सिंह ने कहा, उन्हें मेरी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाना था । इससे थलसेना की छवि को भी नुकसान पहुंचा, इस पूरे वाकये का मकसद एक शख्स की छवि खराब करना था पर दरअसल इससे आप एक संस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है ?
सिंह ने यह भी कहा, लोगों के मन में जो डर रहता है, इससे उसे हवा मिली। इससे थलसेना की छवि धूमिल हुई। मई 2012 में सिंह की सेवानिवृति से करीब महीने भर पहले एक अखबार ने खबर छापी थी कि हिसार से एक बख्तरबंद इकाई और आगरा से एक पैरा ब्रिगेड इकाई 15 और 16 जनवरी की दरम्यानी रात दिल्ली की ओर रवाना हुई थी। इससे सरकारी हलकों में खौफ पैदा हो गया था कि जनरल सिंह तख्तापलट की योजना बना रहे हैं।
संयोग से 16 जनवरी को सिंह ने सरकार के उस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रूख किया था जिसमें 10 मई 1950 को उनकी जन्म-तिथि माना गया था जबकि जनरल सिंह का दावा था कि उनकी जन्म-तिथि 10 मई 1951 है।
यह विवाद इसलिए पैदा हुआ क्योंकि सिंह के आधिकारिक दस्तावेजों में दो तरह की जन्म-तिथि सामने आयी थी। इस मुद्दे पर सिंह ने दो दफा सरकार को अर्जी दी पर दोनों बार उनकी याचिका खारिज कर दी गयी। यदि सिंह का जन्म वर्ष 1951 माना जाता तो उन्हें पिछले साल 31 मई से 10 महीने आगे का सेवा विस्तार मिल जाता पर ऐसा नहीं होने से उन्हें 31 मई 2012 को सेवानिवृत होना पड़ा ।
सिंह ने कहा कि तख्तापलट की खबर ‘चंडीगढ़ थिंक टैंक’ की उपज थी जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी और दो वरिष्ठ पत्रकार शामिल थे जिन्हें इसके बारे में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। पूर्व थलसेनाध्यक्ष ने कहा, उन्हें (दो पत्रकारों को) निश्चित तौर पर कहा गया होगा। बिना किसी के प्रोत्साहित करने पर आप तख्तापलट की खबर नहीं लिखते। मुझे यकीन है कि हर किसी को इतनी बुद्धि होती है कि ऐसी चीजें नहीं लिखी जातीं। ‘एलेफ’ द्वारा प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘करेज एंड कनविक्शंस’ में पूर्व थलसेनाध्यक्ष ने कहा है कि एक राष्ट्रीय अखबार में तख्तापलट की खबर प्रकाशित होने में किसी सी-ग्रेड फिल्म की पटकथा का पूरा मसाला था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 13, 2013, 18:09