Last Updated: Wednesday, February 26, 2014, 23:42
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नौसेना में हाल के दिनों में कई हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नौसेना प्रमुख ने यह इस्तीफा दिया है। सरकार ने तत्काल प्रभाव से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और जब तक नए नौसेना अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक वाइस एडमिरल रॉबिन धवन कार्यकारी नौसेनाध्यक्ष रहेंगे।
जोशी का इस्तीफा मुंबई में नौसेना की सिन्धुरक्षक पनडुब्बी के हादसे के शिकार होने के बाद आया है। इस हादसे में सात नौसैनिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और दो अधिकारी अभी तक लापता बताए जा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने बीते कुछ महीनों में हुए हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है।
आईएनएस सिंधुरत्न के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ घंटे बाद ही 59 वर्षीय जोशी ने इस्तीफा दे दिया जबकि उनका कार्यकाल अभी 15 महीने बचा हुआ है। पनडुब्बी रोधी युद्ध के विशेषज्ञ एडमिरल जोशी 31 अगस्त 2012 को नौसेना प्रमुख बने थे। रक्षा मंत्रालय ने आदेश दिया कि नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल आर. के. धवन नियमित प्रमुख की नियुक्ति होने तक कार्यवाहक प्रमुख रहेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘पिछले कुछ महीने में हुई दुर्घटनाओं और घटनाओं की जिम्मेदारी लेते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. जोशी ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार ने एडमिरल जोशी का इस्तीफा तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।’ नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि पश्चिमी कमान के कोमोडोर कमांडिंग, पनडुब्बी को संचालन कार्य में लगाने से पहले आज सुबह जब इसकी जांच कर रहे थे तो उनके केबिन में गहरा धुआं भर गया ।
दुर्घटना से क्षुब्ध रक्षा मंत्रालय ने नौसेना से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। भारतीय नौसेना युद्धक यान के दुर्घटनाग्रस्त होने की यह दसवीं घटना है और पिछले सात महीने में यह तीसरी पनडुब्बी दुर्घटना है । उन्होंने कहा, ‘हमने तुरंत अपना आपातकालीन अग्निशामक सक्रिय किया और जो सात कर्मी धुएं से प्रभावित हुए थे उन्हें हवाई जहाज से अस्पताल पहुंचाया गया। दो अधिकारी लापता हैं। या तो वे कैबिन में ही छूट गए होंगे या दूसरी जगह पर हो सकते हैं। आपातकाल के लिए कई कैबिन और कम्पार्टमेंट बने हुए हैं।’ घायल लोगों को नौसेना के अस्पताल आईएनएस अश्विनी में भर्ती कराया गया है ।
पिछले 15 वर्षों में पहली बार किसी नौसेना प्रमुख ने विवादास्पद परिस्थितियों में अपना पद छोड़ा है। इससे पहले 1998 में राजग सरकार ने एडमिरल विष्णु भागवत को बर्खास्त कर दिया था। उस समय जॉर्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री थे। दुर्घटना की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मामले से अवगत कराया। मुखर्जी सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर भी हैं।
पिछले सात महीने में आईएनएस सिंधुरत्न सहित इस तरह की दस दुर्घटनाएं हुई हैं। सबसे बड़ी दुर्घटना पिछले वर्ष 14 अगस्त को हुई जब आईएनएस सिंधुरक्षक मुंबई बंदरगाह के पास डूब गई जिसमें 18 कर्मियों की मौत हो गई थी। इस महीने की शुरूआत में युद्धक पोत आईएनएस ऐरावत दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके बाद कमांडिंग अधिकारी को कमान ड्यूटी से हटा दिया गया। पश्चिमी कमान का मुख्यालय उस वक्त क्षतिग्रस्त हो गया जब नौसेना के आयुध डिपो के कर्मी से एक तोप के परीक्षण के दौरान गलती से गोला चल गया।
सिंधुरत्न की हाल में मुंबई में मरम्मत हुई थी और दिसम्बर में इसे नौसेना को सौंपा गया था। इसे दो अभ्यास से गुजरना था - एक बंदरगाह पर और दूसरा समुद्र में और इसके बाद इसे अभियान तैनाती की मंजूरी दी जानी थी। जब दुर्घटना हुई तो यह ‘कार्य दो’ (समुद्र में अभ्यास) पर थी। करीब एक महीने पहले आईएनएस सिंधुघोष उस समय बाल-बाल बच गयी जब भाटा के दौरान इसने मुंबई बंदरगाह पर प्रवेश किया और यह दुर्घटनाग्रस्त होते-होते बची। आईएनएस सिंधुरक्षक पिछले वर्ष मुंबई बंदरगाह के पास डूब गई जिससे उस पर सवार सभी 18 कर्मियों की मौत हो गई। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Wednesday, February 26, 2014, 19:40