पेड न्यूज पर अंकुश के लिए आत्मसुधार तंत्र की जरूरत : राष्ट्रपति

पेड न्यूज पर अंकुश के लिए आत्मसुधार तंत्र की जरूरत : राष्ट्रपति

पेड न्यूज पर अंकुश के लिए आत्मसुधार तंत्र की जरूरत : राष्ट्रपतिनई दिल्ली : कुछ प्रकाशनों द्वारा राजस्व बढ़ाने के लिए ‘पेड न्यूज’ की प्रवृत्ति अपनाने पर चिंता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि इस तरह के पतन पर अंकुश लगाने के लिए खुद में सुधार की प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। मीडिया को ऐसी ‘क्रिस्टल बॉल’ बताते हुए, जिसपर करोड़ों भारतीयों की निगाहें टिकी हैं, राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश ऐसी नाजुक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो ‘ब्रेकिंग न्यूज’ और ‘खास सुखिर्यों’ से कहीं आगे हैं।’

इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी की प्लैटिनम जुबली के मौके पर आयोजित एक समारोह के अपने उद्घाटन भाषण में मुखर्जी ने पेड न्यूज के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में मैं बताना चाहता हूं कि यह जानना अपने आप में परेशान करने वाला है कि कुछ प्रकाशनों ने अपने राजस्व बढ़ाने के लिए ‘पेड न्यूज’ और इसी तरह की अन्य विपणन रणनीतियों का सहारा लिया।’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘इस तरह के पतन को रोकने के लिए खुद को सुधारने का तंत्र विकसित करने की जरूरत है। समाचारों को दबा देने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाना होगा। आपको प्रभावी वाचक के साथ ही दूरदर्शी राष्ट्र निर्माता भी बनना होगा।’

उन्होंने कहा कि मीडिया की यह जिम्मेदारी और बाध्यकारी दायित्व है कि विचारों पर पूरी निष्पक्षता से बहस हो और सोच को बिना किसी भय अथवा भेद के विकसित होने का मौका मिले ताकि कोई भी राय हमेशा पूरी जानकारी के साथ बने।
मुखर्जी ने कहा कि आईएनएस को इस बात पर गर्व हो सकता है कि उसने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) और ऑडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन जैसे संस्थानों को बनाने और विकसित करने में मदद की।

उन्होंने कहा, ‘आईएनएस के सदस्यों ने एक स्वतंत्र प्रेस को पल्लवित करने में अहम भूमिका निभाई जो हमारे लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि मीडिया को सार्वजनिक जीवन को शुद्ध करने में महती भूमिका निभानी है लेकिन उसे सनसनी फैलाने से बचना चाहिए क्योंकि यह कभी सच्ची रिपोर्टिंग का विकल्प नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘सफाई करते समय मीडिया को नैतिकता के सर्वोच्च मानदंड बनाए रखने चाहिएं और अपने दिमाग में यह हमेशा रखना चाहिए कि ‘मनोरथ और माध्यम दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।’

मुखर्जी ने कहा, ‘सनसनी कभी भी वस्तुपरक आकलन और सार्थक रिपोर्टिंग का विकल्प नहीं हो सकती। गप्प और अटकलें ठोस तथ्यों का स्थान नहीं ले सकतीं। यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए कि राजनीतिक अथवा वाणिज्यिक हित वैध एवं स्वतंत्र विचारों को पीछे न छोड़ दें।’ उन्होंने कहा कि जनता और जन सेवकों के बीच मध्यस्थ के तौर पर प्रेस ‘जनहित का प्रहरी’ है जो वंचितों और दलितों की आवाज बनता है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘लेकिन उदासी और अंधेरे को समाचार संग्रहण पर हावी नहीं होना चाहिए। बेहतरी के हित में रचनात्मक और प्रेरणादायी परिवर्तन को सामने लाने के लिए सजग प्रयास किए जाने चाहिए। मीडिया की शक्ति का उपयोग हमारी नैतिकता की धुरी को फिर से स्थापित करने के लिए देशव्यापी प्रयास के तौर पर किया जाना चाहिए।’मुखर्जी ने कहा कि मीडिया की सार्वजनिक जीवन को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस समारोह में प्रमुख प्रकाशक, संपादक, विज्ञापनदाता और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

राष्ट्रपति ने आईएनएस के सात संस्थापक सदस्यों के प्रतिनिधियों केएचएन कामा (बांबे क्रानिकल), के. बालाजी (द हिन्दू), राजीव वर्मा (द हिन्दुस्तान टाइम्स), चंदन मि़त्रा (द पायनियर), रवींद्र कुमार (द स्टेट्समैन), मोहित जैन (द टाइम्स आफ इंडिया) और विनय वर्मा (द ट्रिब्यून) को सम्मानित किया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, February 27, 2014, 19:46

comments powered by Disqus