Last Updated: Saturday, March 8, 2014, 23:24

नई दिल्ली : भाजपा से गठजोड़ के बाद अपने मतदाताओं की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए दलित नेता राम विलास पासवान और रामदास अठावले ने आज जोर दिया कि उन्होंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय नहीं किया है बल्कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम के तहत राजग में शामिल हुए हैं। नरेन्द्र मोदी पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में आपत्तियों की बात को स्वीकार करते हुए लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के लिए उनकी पार्टी की प्रतिबद्धता में कोई परिवर्तन नहीं आया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए हुआ क्योंकि हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था जब कांग्रेस और राजद ने हमारी पार्टी को अपमानित किया।
पासवान ने कहा, ‘‘ इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमने संप्रग में बने रहने के लिए अंतिम क्षणों तक कोशिश की लेकिन जब हमें लगा कि मेरी वहां कोई जरूरत नहीं है, तब मैं दूसरे विकल्प पर पार्टी के निर्णय के साथ गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लोजपा संसदीय बोर्ड ने मुझसे पूछा कि क्या मेरी व्यक्तिगत भावना अधिक महत्वपूर्ण हैं या पार्टी का हित। यह भी तथ्य है कि भाजपा के साथ गठबंधन के निर्णय को मेरी मंजूरी प्राप्त थी।’’
राजग में शामिल होने की परिस्थितियों के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने कहा कि राजद नेता लोजपा को दो या तीन सीट देने की बात कर रहे थे और उनके पूरजोर प्रयासों और सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाजूद भी कांग्रेस ने बिहार में राजद-कांग्रेस-लोजपा गठबंधन बनाने की पहल नहीं की। लोजपा प्रमुख ने कहा कि लोजपा महासचिव अब्दुल खालिक और वह स्वयं भाजपा के साथ गठबंधन के दबाव के आगे अंतिम क्षणों तक खड़े थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद, कांग्रेस और जदयू जैसे धर्मनिरपेक्ष दलों ने फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री की मेरी मांग का समर्थन नहीं किया। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में मंत्री रहे पासवान ने कहा कि उस सरकार के समय में दलितों के कल्याण के लिए कई कदम उठाये गए हालांकि संप्रग सरकार में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा ने दलितों की अनुसूचित जाति उप योजना और प्रोन्नति में आरक्षण की मांग को पूरा करने का वायदा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ जब हमने भाजपा के समक्ष ये मांगे रखी तब हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और हमने यह निर्णय (भाजपा के साथ गठजोड) किया।’’ वहीं, अठावले ने कहा कि अगर राज ठाकरे के नेतृत्व वाले मनसे को भाजपा नीत गठबंधन में शामिल करने की कोशिश की गई तब वह राजग से अलग हो जायेंगे।
अठावले ने कहा, ‘‘ अगर ठाकरे (राज) को गठबंधन में शामिल करने का निर्णय किया गया तब आरपीआई इससे अलग हो जायेगी। महाराष्ट्र में राज ठाकरे की कोई जरूरत नहीं है।’’ गौरतलब है कि भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में राज ठाकरे से मुलाकात की थी और गैर संप्रग मतों को विभाजित नहीं करने को कहा था। राजग की सहयोगी शिवसेना ने इस मुलाकात के लिए गडकरी पर निशाना साधा था।
संप्रग पर निशाना साधते हुए अठावले ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाली सारकार को परास्त करने के लिए भाजपा के साथ गठजोड़ किया है। उन्होंने कहा, हम भाजपा और राजग के साथ साझा न्यूनतम कार्यक्रम के तहत हैं। बहरहाल, पासवान ने कहा कि कोई टोपी पहन लेने से कोई सम्प्रदायिक या धर्मनिरपेक्ष नहीं बन जाता है। जब मैंने बिहार में मोदी के साथ मंच साझा किया था तब समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बात की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ हां, अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को मोदी पर आपत्ति हैं। लेकिन जब मोदी कहते हैं कि वह संविधान के तहत काम करेंगे, तब हमारे संविधान में साम्प्रदायिकता का शब्द कहां है?’’ उन्होंने कहा कि हम समय के चक्र को कब तक रोक सकते हैं? हम साम्प्रदायिक और धर्मनिरपेक्षता पर बात करने वाले कौन होते हैं? पासवान और अठावले की टिप्पणी लोजपा प्रमुख के आवास पर नेशनल दलित फ्रंट के बैनरतले आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में आई। इस अवसर पर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए उदित राज भी मौजूद थे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 8, 2014, 22:59