Last Updated: Friday, November 15, 2013, 16:29
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध को लेकर भाजपा अकेली पड़ गई है। कांग्रेस ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध का समर्थन किया है जबकि भाजपा और सीपीएम इसके विरोध में हैं। सपा, बसपा, एनसीपी, डीएमके, जदयू, एआईएडीएमके, शिवसेना, डीएमडीके, शिरोमणि अकाली दल, आईयूएमएल, कर्नाटक जनता पार्टी ने भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। तृणमूल कांग्रेस ने अपनी राय व्यक्त नहीं की है। ओपिनियन पोल पर विभिन्न राजनीतिक दलों की राय के बारे में चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को जानकारी दी है।
कानून मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस मामले पर अंतिम फैसला जल्द ही ले लिया जाएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक ओपिनियन पोल पर पांच राष्ट्रीय और 10 राज्य स्तर की पार्टियों ने अपने सुझाव दिए हैं। आयोग ने साफ किया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 में संशोधन के लिए कानून मंत्रालय को की गई सिफारिश राजनीतिक दलों की एक राय के बाद दी गई थी ताकि चुनाव की अधिसूचना जारी होने की तारीख से चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध लगाया जा सके।
कानून मंत्रालय को लिखे ताजा पत्र में बताया गया है कि भाजपा ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध को लेकर अपनी राय बदल दी है। भाजपा ने ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध का विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1ए) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। कांग्रेस ने ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। पार्टी का कहना है कि ओपिनियन पोल न तो वैज्ञानिक होते हैं न ही प्रक्रिया में पारदर्शिता होती है। रैंडम सर्वे की विश्वसनीयता नहीं होती है।
First Published: Friday, November 15, 2013, 16:29