Last Updated: Friday, February 21, 2014, 19:34

नई दिल्ली : संसदीय इतिहास में कामकाज के प्रतिशत में अधिकतम गिरावट दर्ज करने और कई टकराव भरे मोड़ों से गुजरने के बावजूद 15वीं लोकसभा के अंतिम सत्र का समापन शुक्रवार को बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष ने एक दूसरे की जी भर कर सराहना की जबकि कुछ नेताओं ने सदन की स्थिति पर आत्मनिरीक्षण किए जाने का आहवान किया।
शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक के अंतिम दिन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि संसदीय कार्यवाही के संचालन में जो कड़वाहट पैदा हुई वह सदस्यों की जनता और राष्ट्रीय हित के मुद्दों को उठाने की इच्छा के कारण हुई और इसे भूला दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ भी निजी नहीं था।
निवर्तमान लोकसभा में कई ऐसे क्षण आए जब टकराव अपने चरम पर पहुंच गया और कई शर्मनाक घटनाएं कार्यवाही में दर्ज हो गईं। वर्ष 2012 में विपक्ष के 2 जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग पर अड़े रहने के कारण पूरा शीतकालीन सत्र बिना किसी कामकाज के गुजर गया था।
आज अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज तथा अन्य नेताओं ने एक दूसरे की खुलकर तारीफ की। अपने विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन में महत्वपूर्ण कानूनों को पारित करने में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की क्षमता रही। इस संदर्भ में उन्होंने तेलंगाना विधेयक का जिक्र किया।
सिंह ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि 60 साल से लंबित चली आ रही तेलंगाना की मांग को इस लोकसभा ने अंतत: पूरा कर दिखाया और अब तेलंगाना ने रोशनी देखी है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक ने उन लोगों में उम्मीदें जगाई हैं, जो वंचित और असहाय हैं। साथ ही इसने किसानों में अधिक उत्पादन करने का हौसला बढ़ाया है। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 21, 2014, 17:10