Last Updated: Sunday, March 30, 2014, 18:18

नई दिल्ली : संप्रग सरकार का दूसरा कार्यकाल खत्म होने को है, ऐसे में डसाल्ट कंपनी के साथ 126 लड़ाकू विमानों की सौदेबाजी पूरी करने को लेकर फ्रांस सरकारी गारंटी मुहैया करने के लिए एक समझौते पर भारत का हस्ताक्षर चाहता है लेकिन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।
लड़ाकू विमान राफेल की आपूर्ति के लिए फ्रांसीसी कंपनी डसाउल्ट का चयन किया गया है। फ्रांस ने इस समझौते पर हस्ताक्षर की पेशकश की थी, वस्तुत: यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोकसभा चुनाव के बाद दूसरी पार्टी के सत्ता में आने की स्थिति में अरबों डॉलर का यह सौदा प्रभावित ना हो।
सूत्रों ने बताया कि फ्रांसीसी पक्ष बातचीत की सरकारी गारंटी चाहती है। हालांकि, एंटनी ने इस तरह के किसी समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है और दलील दी है कि सरकारी गारंटी प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि सौदेबाजी अभी भी जारी है।
रक्षा मंत्रालय फ्रांसीसी कंपनी के साथ अभी तक इसकी कीमत और अनुबंध की शर्तों एवं प्रावधानों पर बातचीत कर रहा है। 126 लड़ाकू विमानों की आूपर्ति के लिए फ्रांसीसी एवियेशन के राफेल लड़ाकू विमान का चयन सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर किया गया है।
एंटनी ने हाल ही में आदेश दिया था कि इस निविदा में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी तक पहुंचने की प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी क्योंकि इस पर सवाल उठे हैं। दोनों पक्ष राफेल से जुड़े ‘जीवन चक्र कीमत’ (एलसीसी) मुद्दे को निपटाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि जीवन चक्र कीमत की गणना करने की प्रक्रिया के बारे में शिकायतें मिली थी और इस मुद्दे का अभी तक हल नहीं हुआ है। आखिरी मंजूरी के लिए इसे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के समक्ष लाए जाने से पहले हमें इस पहलू को स्पष्ट करना होगा।
गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने एंटनी को पत्र लिखकर रक्षा खरीद नीति में ‘वैचारिक बदलाव’ पर कई सवाल उठाए थे और इस बात की आशंका जताई थी कि एलसीसी की अवधारणा भ्रष्टाचार ला सकती है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 30, 2014, 18:18