Last Updated: Wednesday, January 29, 2014, 09:38
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : गुजरात में साल 2002 के दंगों को लेकर राहुल गांधी की ओर से बीते दिनों की गई टिप्पणियों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चौतरफा हमला बोला है। बीजेपी ने इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि उस हिंसा को रोकने के लिए राज्य पुलिस की ओर से हरसंभव प्रयास किए गए। जबकि 84 के सिख विरोधी दंगे ‘राज्य प्रायोजित’ थे, जिसे रोकने के लिए पुलिस ने कोई गंभीर पहल नहीं की। उधर, कांग्रेस ने राहुल गांधी की इस टिप्पणी का बचाव किया है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि राहुल ने जो कहा है, उसे करके दिखाया भी है। एक समाचार चैनल पर राहुल के साक्षात्कार को लेकर हमलावर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सिंघवी ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा उसे कर दिखाया। पार्टी की युवा इकाई (एनएसयूआई) में उन्होंने जो परिवर्तन किया उसे क्रांति ही कहा जा सकता है।
गुजरात में 2002 के दंगों के बारे में राहुल गांधी की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा ने मंगलवार को कहा कि उस हिंसा को रोकने के लिए राज्य पुलिस की फायरिंग में कई दंगाई मारे गए जबकि 1984 के सिख विरोधी दंगे ‘राज्य प्रायोजित’ थे जिसे रोकने के लिए पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलाई और दंगाई भीड़ ‘खून का बदला खून’ के नारे लगा कर खुलेआम सिखों की हत्याएं करती रही।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने राहुल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि गुजरात दंगों के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष ‘जानकारी के अभाव’ से ग्रस्त हैं और उन्होंने उस बारे में ‘जिम्मेदाराना’ बयान नहीं दिया है। गुजरात दंगों को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं होने और सिख विरोधी दंगों को रोकने के लिए तत्कालीन कांग्रेस शासन द्वारा कार्रवाई करने संबंधी राहुल के बयान को पूरी तरह गलत बताते हुए जेटली ने कहा कि सच्चाई इसके उलट है।
उन्होंने कहा कि गुजरात में हजारों लोग गिरफ्तार किए गए और पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर फायरिंग की जिसमें लगभग 300 दंगाई मारे गए। हजारों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और सैंकड़ों को सजा हुई।
जेटली ने कहा कि दूसरी ओर 1984 के दंगों में 31 अक्तूबर की दोपहर को एम्स, जहां इंदिरा गांधी का पार्थिव शरीर रखा हुआ था, वहां ‘खून का बदला खून’ के नारे लगने लगे और कथित रूप से कांग्रेस नेता हजारों सिखों की हत्या करने वाली भीड़ की अगुवाई करते देखे गए।
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी राहुल के आरोपों को पूरी तरह गलत बताते हुए आरोप लगाया कि 1984 की तबाही राज्य प्रायोजित थी और दिल्ली की सड़कों पर सिखों को जिंदा जलाया जा रहा था। दिल्ली सरकार ने दंगाइयों को तितर बितर करने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर गुजरात सरकार ने 2002 के दंगाइयों पर 10 हजार राउंड गोलियां चलाई जिसमें 190 से अधिक दंगाई मारे गए। उन्होंने कहा कि गुजरात के दुर्भाग्यपूर्ण दंगों को किसी ने सही नहीं ठहराया। लेकिन, दूसरी ओर उनके (राहुल) पिता राजीव गांधी ने 1984 के नरसंहार को यह कह कर सही ठहराया कि ‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती में कंपन होती है’। जबकि सच्चाई इसके उलट यह है कि जब धरती डोलती है तो बड़े पेड़ गिरते हैं। उधर, पार्टी के अन्य नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में गुजरात दंगों से कहीं अधिक लोग मारे गए थे।
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों तथा वर्ष 1989 में बिहार के भागलपुर में हुए दंगों के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया और गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
उधर, सिंघवी ने कहा कि आजादी के बाद ऐसा किसी पार्टी में नहीं हुआ। उन्होंने (राहुल) पार्टी को जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक बनाया है। पार्टी पूरी तरह पारदर्शी, खुली और सशक्त हो चुकी है। 84 के सिख दंगों पर दिए राहुल के बयान पर सिंघवी ने कहा कि सिखों के साथ बीते वर्षो में फिर से मैत्रीपूर्ण रिश्ता कायम हो चुका है। वहीं, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने मंगलवार को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की 1984 के दंगों पर की गई टिप्पणी का समर्थन किया और कहा कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान राज्य सरकार ने पर्याप्त कार्रवाई नहीं की।
First Published: Wednesday, January 29, 2014, 09:38