Last Updated: Monday, May 26, 2014, 23:04

नई दिल्ली : नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में आज शपथ लेने वाले राम विलास पासवान पिछले तीन दशक से हर तरह की सरकारों में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में रहे। इस दलित नेता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में की और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गये। उसके बाद वह तेजी से सीढी चढते गये और कभी भी किसी राजनीतिक विचारधारा को अपनी राह में नहीं आने दिया।
केवल 2009 से 2014 के बीच का समय पासवान के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा। वह लालू प्रसाद की राजद के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन उनकी पार्टी लोजपा एक सीट भी नहीं जीत पाई और वह खुद भी हाजीपुर से हार गये।
इसे छोड दें तो बिहार का ये नेता हमेशा देश के राजनीतिक हालात और नब्ज समझता रहा है और उनका राजनीतिक करियर अब 45 साल का है। फरवरी 2014 में पासवान ने राजग से जुडने का फैसला किया और नरेन्द्र मोदी को लेकर उनके मन में जो भी विरोध था, उसे दरकिनार करते हुए उन्होंने देश की नब्ज समझी और राजग में शामिल हो गये। ये स्पष्ट संकेत था कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन सरकार में आने वाला है।
पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू में रहे और फिर 2000 में अपनी पार्टी लोजपा का गठन किया।
आज कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पासवान शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने छह अलग-अलग प्रधानमंत्रियों, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौडा, आई के गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और मोदी की कैबिनेट में काम किया है। ये है।
पासवान विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय में रेल मंत्री बने थे। केन्द्र में चाहे यूनाइटेड फ्रंट हो, राजग हो या संप्रग, पासवान को अधिकतर सभी गठबंधन का हिस्सा बनने का मौका मिला। संप्रग-2 सरकार में वह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं रहे। वह विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय 1989 में केन्द्रीय श्रम मंत्री बने। एच डी देवगौडा और गुजराल सरकार के समय वह जून 1996 से मार्च 1998 तक रेल मंत्री रहे। पासवान अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 के बीच संचार एवं आईटी मंत्री रहे। सितंबर 2001 से अप्रैल 2002 के बीच वह खान मंत्री रहे। 2004 से 2009 के बीच वह रसायन एवं उर्वरक तथा इस्पात मंत्री रहे।
(एजेंसी)
पासवान के पास एलएलबी और एमए की डिग्रियां हैं। वह आठ बार लोकसभा सांसद रहे हैं। हाजीपुर सीट से 5 लाख से अधिक मतों से जीतकर उन्होंने गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में अपना नाम दर्ज कराया। आपातकाल के समय वह जेल गये।
संसद में प्रवेश के लिए केवल एक बार उन्हें राज्यसभा का विकल्प चुनना पड़ा। वह 2009 का चुनाव हारे और उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पासवान को जदयू के राम सुंदर दास ने हराया था। राजद के समर्थन से वह राज्यसभा चुनाव जीते।
पासवान ने गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर मोदी का विरोध करते हुए राजग का साथ छोड़ दिया था।
First Published: Monday, May 26, 2014, 23:01